नई दिल्ली- पीएम नरेंद्र मोदी आज रेडियो शो ‘मन की बात’ के 122वें एपिसोड को संबोधित कर रहे हैं। एपिसोड की शुरुआत में उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य मिशन नहीं है, ये हमारे संकल्प, साहस और बदलते भारत की तस्वीर है और इस तस्वीर ने पूरे देश को देश-भक्ति के भावों से भर दिया है, तिरंगे में रंग दिया है।
पीएम ने भारतीय सेना के पराक्रम की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की सेना ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन सिंदूर ने देश को देशभक्ति की भावना से भर दिया है। देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं।
1. भारतीय सेना ने हर हिंदुस्तानी का सिर ऊंचा किया
पीएम ने कहा कि आज पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है, संकल्पबद्ध है। आज हर भारतीय का यही संकल्प है, हमें आतंकवाद को खत्म करना ही है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारी सेनाओं ने जो पराक्रम दिखाया है, उसने हर हिंदुस्तानी का सिर ऊंचा कर दिया है।
जिस सटीकता के साथ हमारी सेनाओं ने सीमा पार के आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त किया, वो अद्भुत है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुनिया-भर में आतंक के खिलाफ लड़ाई को नया विश्वास और उत्साह दिया है।
2. ऑपरेशन सिंदूर ने लोगों में देशभक्ति की भावना जगाई
पीएम ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने देश के लोगों को इतना प्रभावित किया है कि कई परिवारों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। बिहार के कटिहार में, यूपी के कुशीनगर में, और भी कई शहरों में, उस दौरान जन्म लेने वाले बच्चों का नाम ‘सिंदूर’ रखा गया है।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर कविताएं लिखी जा रही थीं, संकल्प गीत गाये जा रहे थे। छोटे-छोटे बच्चे पेंटिंग्स बना रहे थे जिनमें बड़े संदेश छुपे थे। देश के कई शहरों में, गावों में, छोटे-छोटे कस्बों में, तिरंगा यात्राएं निकाली गई।
हजारों लोग हाथों में तिरंगा लेकर देश की सेना, उसके प्रति वंदन-अभिनंदन करने निकल पड़े। कितने ही शहरों में सिविल डिफेंस वॉलेंटियर बनने के लिए बड़ी संख्या में युवा एकजुट हो गए, और हमने देखा, चंडीगढ़ के वीडियोज तो काफी वायरल हुए थे।
3. महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पहली बार बस पहुंची
पीएम ने कहा कि मैं आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताना चाहता हूं, जहां पहली बार एक बस पहुंची। इस दिन का वहां के लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे। और जब गांव में पहली बार बस पहुंची तो लोगों ने ढोल-नगाड़े बजाकर उसका स्वागत किया। बस को देखकर लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था। गांव में पक्की सड़क थी, लोगों को जरूरत थी, लेकिन पहले कभी यहां बस नहीं चल पाई थी।
क्योंकि ये गांव माओवादी हिंसा से प्रभावित था। यह जगह है महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में, और इस गांव का नाम है, काटेझरी। अब यहां हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। माओवाद के खिलाफ सामूहिक लड़ाई से अब ऐसे क्षेत्रों तक भी बुनियादी सुविधाएं पहुंचने लगी है। गांव के लोगों का कहना है कि बस के आने से उन लोगों का जीवन बहुत आसान हो जाएगा।
4. छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित इलाकों में अब शिक्षा बढ़ रही
पीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ के बस्तर के बच्चों में साइंस का पैशन है। वो स्पोर्ट्स में भी कमाल कर रहे हैं। ऐसे प्रयासों से पता चलता है कि इन इलाकों में रहने वाले लोग कितने साहसी होते हैं। इन लोगों ने तमाम चुनौतियों के बीच अपने जीवन को बेहतर बनाने की राह चुनी है।
मुझे यह जानकार भी बहुत खुशी हुई कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में दंतेवाड़ा जिले के नतीजे बहुत शानदार रहे हैं। करीब 95% के साथ ये जिला 10वीं के नतीजों में टॉप पर रहा। वहीं 12वीं की परीक्षा में इस जिले ने छत्तीसगढ़ में छठा स्थान हासिल किया। सोचिए, जिस दंतेवाड़ा में कभी माओवाद चरम पर था, वहां आज शिक्षा का परचम लहरा रहा है। ऐसे बदलाव हम सभी को गर्व से भर देते हैं।
5. गुजरात में पांच साल में शेरों की संख्या बढ़ी
पीएम ने कहा कि शेरों से जुड़ी एक बड़ी अच्छी खबर है। पिछले केवल पांच सालों में गुजरात के गिर में शेरों की आबादी 674 से बढ़कर 891 हो गई है। लॉयन सेंसस के बाद सामने आई शेरों की ये संख्या बहुत उत्साहित करने वाली है। साथियों, आप में से बहुत से लोग यह जानना चाह रहे होंगे कि आखिर ये एनिमल सेंसस होती कैसे है। ये एक्सरसाइज बहुत ही चुनौतीपूर्ण है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लॉयन सेंसस 11 जिलों में, 35 हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में की गई थी। सेंसस के लिए टीमों ने चौबीसों घंटे इन क्षेत्रों की निगरानी की। पूरे अभियान में वैरिफिकेशन और क्रॉस वैरिफिकेशन दोनों किए गए। इससे पूरी बारीकी से शेरों की गिनती का काम पूरा हो सका।
एशियाटिक लायन की आबादी में बढ़ोतरी ये दिखाती है कि जब समाज में ओनरशिप का भाव मजबूत होता है, तो कैसे शानदार नतीजे आते हैं। कुछ दशक पहले गिर में हालात बहुत चैलेंजिंग थे। लेकिन वहां के लोगों ने मिलकर बदलाव लाने का बीड़ा उठाया। वहां लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ ही ग्लोबल बेस्ट प्रेक्टिसेज को भी अपनाया गया |
22 भाषाओं में ब्रॉडकास्ट होता है मन की बात कार्यक्रम
मन की बात को 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा 11 विदेशी भाषाओं में भी ब्रॉडकॉस्ट किया जाता है। इनमें फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली शामिल हैं।
मन की बात की ब्रॉडकास्टिंग आकाशवाणी के 500 से अधिक ब्रॉडकास्टिंग सेंटर द्वारा किया जाता है। पहले एपिसोड की टाइम लिमिट 14 मिनट थी। जून 2015 में इसे बढ़ाकर 30 मिनट कर दिया गया था।