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जब TMC सांसद ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से पूछा-क्या आप प्याज खाते हैं तो जानें क्या मिला जवाब…

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देश में प्याज के बढ़ते दामों से चिंतित केंद्र सरकार ने कहा है कि वह इस समस्या से निपटने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास कर रही है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह इसका उत्पादन कम होना है। सरकार प्याज का निर्यात बंद करने और विभिन्न देशों से इसके आयात का बंदोबस्त कर रही है। साथ ही प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

तोमर ने कहा कि प्याज के दाम बढ़ने के तत्काल बाद इसके निर्यात पर रोक लगाई गई और आयात का आदेश दिया गया। राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी कहा गया है कि वे प्याज के दाम को नियंत्रित रखने के लिए कदम उठाएं। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने सवाल किया कि क्या आप प्याज खाते हैं? इसके जवाब में तोमर ने कहा, हां मैं प्याज खाता हूं।’

देश में फसलों को हुई क्षति और किसानों पर इसके प्रभाव विषय को लेकर गुरुवार को लोकसभा में नियम 193 के तहत चर्चा हुई। बाद में चर्चा का जवाब देते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘इस वक्त देश में प्याज का मुद्दा ज्वलंत है। लोगों को तकलीफ हो रही है। हम इससे अवगत हैं। इस साल प्याज की 69.9 लाख टन पैदावार का अनुमान था, लेकिन बदली परिस्थितियों में 53.73 लाख टन उत्पादन की संभावना है। सरकार प्याज की इस कमी को दूर करने के लिए उपाय कर रही है।



कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। किसानों के मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे किसानों को न्याय नहीं मिलेगा। तोमर ने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन भी किसानों के लिए समस्या बना है। सरकार जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए पेरिस समझौते को लेकर प्रतिबद्ध है।


तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लोगों को लाभ मिला है। हालांकि, वह इससे सहमत हैं कि इसमें और पारदर्शिता होनी चाहिए। तोमर ने कहा कि दो साल में फसल बीमा योजना के तहत किसानों से 47 करोड़ रुपये का प्रीमियम आया। इस संबंध में 38,499 करोड़ रुपये के अनुमानित दावे आए और 38,351 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।


इससे पहले कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अधिकार का रूप दिया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों को लेकर सिर्फ दावे करती है, लेकिन उसकी कथनी और करनी में अंतर है।