ब्यूरोचीफ
सुनील खोब्रगढ़े-
बालाघाट-‘‘भटकते बाल मन को राह दिखाता है बाल साहित्य उक्त उद्गार श्रीमती मौसम हरिनखेरे, अध्यक्ष जनभागीदारी समिति, ने शासकीय जटाषंकर पी.जी. महाविद्यालय बालाघाट में दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र् में व्यक्त किये । उल्लेखनीय है कि आज दिनांक 20 फरवरी 2023 को बाल साहित्य पर दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का महाविद्यालय में शुभारंभ हुआ । इस संगोष्ठी में देष विदेष के ख्यातिनाम रचनाकारों एवं साहित्यकारों ने षिरकत की, लंदन से प्रसिद्ध साहित्यकार श्री तेजेन्द्र शर्मा ऑनलाईन तरीके से जुड़कर संगोष्ठी को प्रवासी साहित्य और बाल मनोविज्ञान पर आधारित सिनेमा और बाल साहित्य पर चर्चा की तथा ‘तारे जमीन पर‘ फिल्म को बालकों के जीवन में महत्वपूर्ण बताया।
महाराष्ट्र से आये प्रख्यात साहित्यकार प्रो. अर्जुन चौहान् ने बीज वक्ता के रूप में हिन्दी साहित्य में चित्रित बाल जीवन पर समीक्षात्मक विवेचना की। आपने बाल साहित्य पर वेदव्यास, वाल्मिकी, सूरदास अमिर खुसरो, चद्रधर शर्मा गुलेरी, प्रेमचंद की ईदगाह कहानी, प्रसाद की कहानी ‘छोटा जादूगार‘, ‘यषपाल की रचना‘, राजेन्द्र यादव, मनु भंण्डारी उपन्यास ‘आपका बंटी‘ और ‘सजा‘ कहानी तथा कृष्णा शोबती की रचना ‘ए लड़की‘, मोहन राकेष के ‘आधे अधुरे‘ तथा मराठी साहित्य में चित्रित बाल जीवन पर विस्तृत्त व्याख्या प्रस्तुत की । नई दिल्ली से पहुची बाल साहित्यकार डॉ. वंदना यादव ने बाल साहित्य पर बाल सहित्यकारों के अवदान को उल्लेखित कर बाल साहित्य द्वारा किस तरह बालकों के मन मस्तिस्क के विकास में योगदान दिया जाता हैं।
संगोष्ठी में देष-विदेष के पुरस्कारों से पुरस्कृत डॉ. दिविक रमेष जो एक प्रख्यात बाल साहित्यकार है, उन्होने वर्तमान बाल साहित्य पर समीक्षात्मक व्याख्या प्रस्तुत करते हुये अमृतलाल नागर, मोहन राकेष, विष्णु प्रभाकर, नासिरा शर्मा, चित्रा मुदगल, प्रेमचंद, सत्यजीत रे, गोर्रकी, धर्मवीर भारती की विवेचना तथा मराठी और गुजराती साहित्य जो बाल साहित्य से समृद्ध हैं का उल्लेख किया। आपने बाल साहित्य पर बोलते हुये कहा की बाल साहित्यतकारों को बच्चों के लिए नहीं बल्कि बच्चों का साहित्य लिखना चाहिए। इस शोध संगोष्ठी में शोध पत्र वाचन का सत्र् भी रखा गया था जिसमें विद्वान प्राध्यापकों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये । प्रो. सत्येन्द्र कुमार शेण्डे ने षिषुगीत पर अपना शोध पत्र पढ़ते हुये बाल साहित्य पर अपनी विवेचना प्रस्तुत की । प्रमुख बाल गीतों को प्रस्तुत करते हुये उन्होने सर्वेसर दयाल सक्सेना, भवानी प्रसाद मिश्र, मोहन अवधिया, कन्हैया लाल नंदन, राजेष जोषी हरकृष्ण देवसरे एवं प्रकाष मनु के अवदान की मनमोहक विवेचना प्रस्तुत की । संस्कृत भारती के संगठन मंत्री डॉ. जागेष्वर पटले ने संस्कृत भाषा में चित्रित बाल साहित्य पर धारा प्रवाह व्याख्यान संस्कृत में देकर सबका मन जीत लिया।
छत्तीसगढ़ से पधारे डॉ. लालचंद सिन्हा ने हिन्दी कविता में चित्रित बाल जीवन में पर शोध पत्र का वाचन किया और हिन्दी के प्रसिद्ध बाल गीतों की प्रस्तुति दी। द्वितीय सत्र् के महत्वपूर्ण वक्ता प्रो. गंगा प्रसाद शर्मा गुणशेखर जी वर्तमान संदंर्भ में बाल साहित्य पर अपने विचार व्यक्त करते हुये उन्होने भारतीय साहित्य के विविध भाषाओं में चित्रित बाल साहित्य पर विमर्ष प्रस्तुत किया। अंग्रेजी के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार रस्कीन बॉड के योगदान को याद किया। आचार्य देवेन्द्र देव ने बाल साहित्य पर प्रकाष डालकर वर्तमान संदर्भ में बाल साहित्य की आवष्यकता एवं महत्व बताया। श्रीमती शमिमा कुरैषी शोद्धार्थी ने सूरदास के बाल मन के संबंध में विचार प्रस्तुत किये तथा बालक स्वभाव के बारे में बताया। डॉ. प्रणव शर्मा ने भी बाल साहित्य पर अपने उद्गार व्यक्त कियें।
इस दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में डॉ. सतीष चतुर्वेदी शाकुन्तल एवं महाविद्यालय के प्राचार्य, डॉ. गोविंद सिरसाटे सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ. एल.सी.जैन, उपस्थित थे हिन्दी साहित्य के छात्र/छात्राए तथा सभी आयोजन समिति के सदस्य सभी विभागाध्यक्ष सहित अन्य महाविद्यालय से आये प्राध्यापक षिक्षक उपस्थित थे । साथ ही नगर के साहित्य प्रेमी भी उपस्थित थे । इस दो दिवसीय शोध संगोष्ठी में बाल साहित्य पर विमर्ष हुआ जो बालाघाट जिले के लिए उपलब्धि हैं।