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अमेरिका ने बॉडी आर्मर सेंसर तैयार किए; यह सैनिकों को धमाके की जानकारी देंगे, ब्रेन डैमेज होने से भी बचाएगा…

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अमेरिकी सैनिकों की यूर्निफॉर्म में जल्द ही बॉडी आर्मर सेंसर लगने वाला है। ये आर्मर सैनिकों को धमाके की जानकारी देगा और ब्रेन डैमेज होने से बचाएगा। प्रत्येक सैनिक के आर्मर में तीन गेज होंगे। यह हेलमेट, चेस्ट और शोल्डर में सेट किए जाएंगे। किसी भी धमाके बाद सैनिक के लिए मेडिकल जरूरत का संकेत भी देंगे।

इनमें धमाकों के विस्फोटक प्रेशर को पाउंड पर स्क्वायर इंच (पीएसआई) के हिसाब से मांपने की क्षमता है। ये उसकी फ्रीक्विवेंसी के हिसाब से लाइटिंग इंडिकेशन देंगे। मसलन, यदि धमाके का प्रेशर एक से चार पीएसआई के बीच है, तब हरी लाइट जलेगी। चार से 16 के बीच प्रेशर हुआ तो पीला लाइट जलेगी। इससे अधिक प्रेशर होने पर आर्मर की लाइट लाल संकेत देगी।  

आर्मर को अमेरिका-ईरान के बीच बढ़े तनाव को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

4408 सेट्स दे दिए गए

एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘लगभग 12 से 36 सैनिकों वाली 58 मिलिट्री यूनिट को 4408 सेट्स दिए गए हैं। ये सेट्स बी3जी7 (ब्लैकबॉक्स बायोमैट्रिक 7 जेनेरेशन ब्लास्ट गेज) हैं।’ इन्हें अमेरिका-ईरान के बीच बढ़े तनाव को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। जनवरी में इराक स्थित बेस पर ईरान ने मिसाइल से हमला किया था। यहां 110 सैनिक थे, जिनके सिर में हल्की चोटों की खबर थी। लेकिन हाल ही आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, हमले में कोई घायल नहीं हुआ था। 

20 महीने से प्रोजेक्ट पर काम जारी
वैज्ञानिक बॉडी आर्मर प्रोजेक्ट पर पिछले 20 महीने से काम कर रहे हैं। टेस्टिंग के लिए इन्हें युद्ध अभियान और ट्रेनिंग प्रोग्राम में भी शामिल किया जा रहा है। डिफेंस हेल्थ अफेयर्स के सह सचिव और टीबीआई (ट्रॉमिक ब्रेन इंज्यूरी) के स्पेशल असिसटेंट कैथ ली ने बुधवार को बताया, आर्मर का रेल सिग्नल धमाके की अत्यधिक प्रेशर शॉक वेब को दिखाता है। इसके मौजूद रहने से सैनिक को पता होगा कि वह कितने प्रेशर वाले ब्लास्ट के करीब है।

अभी दो साल का समय और लगेगा
सैन्य समुदाय और परिवार योजना के प्रमुख निदेशक जोसेफ लुडोविची ने मीडिया को बताया, ‘‘पेंटागन ने हाल ही तीन सेंसर वाले बॉडी आर्मर जारी किए है। इन्हें शरीर पर पहना जा सकता है। यह धमाके से पहले के माहौल की पहचान कर सकता है। हालांकि,अभी यह प्रयोग प्राथमिक स्तर पर है और टेस्टिंग जारी है। इसीलिए इन्हें ट्रेनिंग में रखा जा रहा है। सैन्य अधिकारी भी इसकी टेस्टिंग टेक्नोलॉजी और प्रभाव को बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। इन्हें पूरी तरह तैयार होने में करीब डेढ से दो साल का समय लग सकता है।