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इन आहारों के जरिये वायु प्रदूषण से लड़ने की मिलेगी शरीर को ताकत…

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वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है । वैसे भी हवा में प्रदूषण कम नही था की दिवाली के पटाखों ने भी अपना जलवा प्रदूषण बढ़ा कर बिखेर दिया है । इतना ही नही लोगों को इस बात की जानकारी होते हुए भी उन्होने पटाखों से रुख नही मोड़ा है । कई कई लोग ऐसे भी हैं जिनके घर में या वह अस्थमा के मरीज नहाईं फिर भी उन्होने प्रदूषण को बढ़ाने में कोई कसर नही छोड़िए है ।

अब ऐसे में ये बढ़ता प्र्दुसशन हमारे स्वासथी पर कितना बुरा असर डालेगा इसके बारे में सोचा भी नही जा सकता है । कई डॉक्टर्स का और हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है की इस प्रदूषण में घर से बाहर निकालना भी हानिकारक है । ऐसे में लोगों को अपने स्वास्थ्य को लेकर और भी असजग होना बहुत जरूरी हो गया है । आज हम आपको बताने जा रहे हैं की इस बढ़ते प्रदूषण में आप किस तरह के आहार को अपनाए की वह आपको इस गंभीर स्थिति ए लड़ने में सहायता करे । आइये जानते हैं इस बारे में ।

विटामिन सी को पानी में घुलनशील होने के कारण हमारे शरीर के लिए सबसे शक्तिशाली एंटी-ऑक्सिडेंट माना जाता है। ये पानी के द्वारा पुरे शरीर में जाकर मुक्त कणों की सफाई करता है। चूँकि हमारी सांस फेफड़ों से होकर ही जाती है इसलिए विटामिन सी की यहाँ मौजूदगी के लिए इसके स्त्रोत आहारों को अपने दैनिक आहार में शामिल करें। विटामिन सी की भूमिका विटामिन ई के निर्माण में भी होती है। इसके लिए आपको सिट्रस फ्रूट्स, चौलाई, गोभी, शल्जम का साग, धनिया के पत्ते, आंवला, अमरूद, नींबू का रस आदि लेते रहना चाहिए।

बीटा कैरोटिन एक ऐसा एंटी-ऑक्सिडेंट है जो कि इंफ्लैमेशन को निंयत्रित रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी एक खासियत ये भी है कि ये हमारे शरीर के अन्दर विटामिन ए में बदल जाता है। इसके लिए आपको अपने दैनिक आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे चौलाई का साग, धनिया, मेथी, लेटस और पालक आदि का सेवन करना चाहिए। आप चाहें तो इसे पाने के लिए मूली के पत्ते और गाजर भी खा सकते हैं।

हल्दी के औषधीय गुण आपको वायु प्रदुषण से भी बचाने के काम आते हैं। जाहिर है ये एक लोकप्रिय एंटी-ऑक्सिडेंट है और प्रदूषण के जहरीले प्रभावों से फेफड़ों को बचाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि आप हल्दी को घी के साथ मिलाकर खाएं तो इससे खांसी और अस्थमा में आराम मिलता है। जब भी अस्थमा अटैक हो तो उस दौरान गुड़ के साथ हल्दी और मक्खन देने से राहत मिलती है।