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अब डीजल पावर कार से नहीं, इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पावर से चलेंगे ट्रेन के एसी-पंखे…

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अब वह दिन दूर नहीं, जब ट्रेन के कोचों में एसी-पंखे चलाने के लिए पावर कार के बदले हेड ऑन जनरेशन सिस्टम चलाए जाएंगे, जिसे हेड ऑन जनरेशन सिस्टम कहा जाता है। अभी तक डीजल से एक ट्रेन में दो डीजल पावर कार लगे हैं। इससे ही कोचों में बिजली की आपूर्ति की जाती थी। पुरानी पावर कार से शोर अधिक होता था। अब हेड ऑन जनरेशन सिस्टम से यानी जिससे ट्रेन का इंजन चलता है, उसी के जरिए ही सीधे बिजली की आपूर्ति कोच में की जाएगी। अभी तक प्रारंभिक तौर पर छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति, हमसफर, दुर्ग-जम्मूतवी व अंत्योदय एक्सप्रेस के एलएचबी कोच में लगा दिए हैं। इससे सिर्फ इन्हीं ट्रेनों में नए सिस्टम लगाने से करीब डेढ़ लाख लीटर डीजल की खपत कम हो जाएगी। इससे मंडल को करीब साढ़े चार करोड़ रुपये की बचत होगी। इसके साथ ही वायु प्रदूषण भी कम होगा।

अभी तक ये थे बिजली सप्लाई के सिस्टम

1-अभी तक डीजल से ही एक ट्रेन में दो पावर कार बॉक्स होते थे

2-इस सिस्टम से ट्रेन के खड़े होने पर अधिक शोर मचता है

3-डीजल की खपत और खर्च भी अधिक आता है

इस प्रणाली से ये मिलेगा लाभ

1- साढ़े चार करोड़ रुपये के डीजल की बचत होगी

2-वायु प्रदूषण कम करने के लिए विद्युत परिवहन व्यवस्था की ओर अग्रसर

3-ट्रेनों में उच्च क्षमता वाले डीजल जनरेटर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण कम होगा

4-रेलवे ने छोटे इंजन वाले नए प्रकार की पावर कारों का निर्माण शुरू कर दिया है

5-डीजल जनरेटर से तेल और जनरेटर के अन्य खतरनाक ज्वलनशील उपकरणों को पृथक होने से आग के खतरों में कमी