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नौसेना ने अपने नए सिम्युलेटर का नाम रखा अमोघ:छत्तीसगढ़ के किसी नौसेना अफसर को पहली बार मिला ये सम्मान; 2021 में हुई थी मौत

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कोरबा-नौसेना के अंडमान एंड निकोबार कमांड ने पोर्टब्लेयर में नवनिर्मित सिम्युलेटर (प्रशिक्षण केंद्र) का नामकरण शुक्रवार को दिवंगत नौसेना अधिकारी अमोघ बापट (कोरबा निवासी) की स्मृति में समर्पित कर अमोघ रखा गया है। एयर मार्शल एस बालकृष्णन की मौजूदगी में वाइस एडमिरल संजय महिन्द्रू ने इसे राष्ट्र के नाम समर्पित किया। दिवंगत नौसेना अधिकारी अमोघ बापट कोरबा के रहने वाले थे।

सिम्युलेटर में नौसेना, कोस्टगार्ड, थल सेना और वायु सेना के जवान व अफसरों को एडवांस डैमेज कंट्रोल ट्रेनिंग की सुविधा उपलब्ध होगी। नौसेना के अफसरों ने कहा कि अमोघ बापट जैसा देश को समर्पित, कुशल और साहसी युवा अधिकारी को उनकी समर्पित सेवाओं को लेकर यह एक विनम्र श्रद्धांजलि है। अमोघ बापट छत्तीसगढ़ पावर जनरेशन कंपनी के एसई प्रशांत बापट और प्रवीणा बापट के दो बेटों में बड़े बेटे था।

यह ऐसा पहला उदाहरण है, जब छत्तीसगढ़ के किसी युवा नौसेना अधिकारी को इस तरह से मृत्यु के बाद नौ सेना से सम्मान मिला हो। अंडमान निकोबार कमांड ऐसी खास जगह है, जहां सेना के तीनों अंगों के साथ कोस्टगार्ड की भी तैनाती है। अमोघ अफसर तो नौसेना का था, लेकिन उनकी रुचि विमान को लेकर थी। यहां तैनात एयरोप्लेन मेंटनेंस के लिए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स बैंगलोर भेजे जाते थे, लेकिन अमोघ ने अपनी टीम के साथ एक अलग ही कमाल कर दिखाया। उसने अपनी टीम के साथ डोर्नियर विमान का डीप मेंटनेंस, वह भी तय समय से आधे समय में पूरा करने में सफलता हासिल की।

जब यह बात वरिष्ठ अधिकारियों को पता चली, तो उन्होंने खुद जाकर इसकी जांच की और वे हैरान रह गए कि यह काम एक युवा अधिकारी ने कर दिखाया। सेना को इस मेंटनेंस से 3 करोड़ की बचत भी हुई थी। इस काम के लिए अमोघ को निरीक्षण करने आए अधिकारियों ने तत्काल सिनकेन (कमांडर इन चीफ अंडमान एंड निकोबार) अवॉर्ड और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया था।

पहाड़ों की सैर करने जाना चाहता था हिमाचल

प्रशांत ने बताया कि नई पोस्टिंग पर ज्वाइन करने से पहले अमोघ ने अपने अफसरों से कुछ अरसा परिवार और ट्रैकिंग पर जाने की बात कहकर छुट्टी ले ली। कोरबा आने की बात बताते हुए जब अमोघ ने अपने पिता से बात की, तब कहा कि पिछली छुट्टी में उसे कोरोना काल के कारण घर में ही बंद रहना पड़ा था, लेकिन इस बार वह पहाड़ों की सैर करने हिमाचल जाना चाहता है। आप लोग मुझे रोकेंगे नहीं। तब हमें कहां पता था कि यह सफर उनका आखिरी सफर होगा। उन्होंने यह भी बताया कि सिम्युलेटर का नामकरण अमोघ के नाम पर किए जाने की जानकारी देते हुए नौसेना के अधिकारियों ने उन्हें यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में इस तरह का सम्मान इससे पहले किसी और नौसेना अधिकारी को नहीं मिला है।

खुद अंडमान एंड निकोबार में कराई तैनाती

अमोघ के पिता प्रशांत और मित्र विशाल केलकर ने बताया कि वो एक होनहार और देशप्रेम के जज्बे से भरा नौजवान था। अमोघ कहता था कि जब सीमा पर चीन का खतरा है, तब उसकी जरूरत सेना को है। इंजीनियरिंग के बाद उसका चयन टीसीएस जैसी कंपनी में भी हो गया था, लेकिन उसने आगे पढ़ाई कर देश सेवा के लिए सेना में जाने का निर्णय लिया। नौसेना में चयन के बाद अमोघ की पोस्टिंग विशाखापट्टनम नेवलबेस में हुई थी‌, लेकिन बाद में उसे खुद अंडमान एंड निकोबार कमांड में अपनी तैनाती करवाई, जबकि अंडमान एंड निकोबार की तैनाती बतौर एक सजा देखी जाती है।

जुलाई 2021 में हादसे में गई थी अमोघ की जान

वर्ष 2021 की 25 जुलाई को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में भू-स्खलन से एक हादसा हुआ। हादसे में सांगला घाटी पहाड़ से बनी चट्टानें और मलबा नीचे बस्पा नदी के पुल की ओर गिरा और वहां से गुजर रहा एक वाहन इसकी चपेट में आ गया। हादसे में 9 लोगों की मौत हुई थी। इनमें तब एचटीपीएस दर्री में पदस्थ एसई प्रशांत बापट के बेटे अमोघ बापट और जांजगीर के रहने वाले रिटायर्ड बैंक कर्मी और रिटायर्ड सीएसईबी कर्मी के पुत्र सतीश कटकवार भी थे। अमोघ का प्रमोशन इस हादसे के सिर्फ दो सप्ताह पहले ही लेफ्टिनेंट कमांडर के पद पर हुआ था। हादसे के एक दिन पहले ही उन्होंने परिजन से बात की थी, तब कोई नहीं जानता था कि यह उनसे आखिरी बार बात हो रही है। दो दिन बाद उनका शव कोरबा लाया गया और पूरे राजकीय सम्मान के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें भीगी पलकों के साथ विदा किया था।

…तब नहीं जानते थे कि उसने क्या कमाल किया है

हादसे के बाद प्रशांत बापट का ट्रांसफर पावर जनरेशन कंपनी के रायपुर मुख्यालय हो गया है। अब वहीं निवास करते हैं। प्रशांत ने कहा अमोघ के रहते-रहते हम यह नहीं जान पाए कि वह देश सेवा में कितना बड़ा काम कर रहा है। जब उसी सिनकेन अवार्ड मिला, तब भी हमें नहीं मालूम था कि यह बड़ा सम्मान है। बाद में मेरे छोटे बेटे अनुपम को पता चला कि यह अमोघ की बड़ी उपलब्धि है, तो वह उसने हमें इससे अवगत कराया। निश्चित ही हर अभिभावक की तरह हमें भी अपने पुत्र की इस उपलब्धि पर गर्व है। अब जबकि नौसेना ने उनकी सेवाओं के लिए सिम्युलेटर का नामकरण उसके नाम पर करके सम्मानित किया है, तब लगता है कि अमोघ छत्तीसगढ़ के हर युवा ही नहीं, वरन देश के युवाओं के लिए भी एक मिसाल है। नौसेना ने भी मरणोपरांत उसे यह सम्मान देकर प्रेरणापूर्ण कार्य किया है।