बिलासपुर-
साल 2018- केंद्र सरकार ने 200 करोड़ में बिलासपुर में एमएसएमई सेंटर बनाने का ऐलान किया। साल 2019 – केंद्र ने स्वीकृति दी और राज्य सरकार को चिट्ठी भेजी और जमीन तलाशने कहा। साल 2020 – कोरोना के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। साल 2021-जगह देखने केंद्र से टीम आई। पहली विजिट में कोई भी साइट पसंद नहीं आया, फिर कोनी की जगह फाइनल हुई। साल 2022 – कोनी आईटीआई की 20 एकड़ जमीन मांगी। अब साल 2023 बीतने को है, जमीन हैंडओवर नहीं हो सकी।
ये साल युवाओं को रोजगार से जोड़ने और कई तरह के ट्रेड में प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से एमएसएमई सेंटर बनाने के ऐलान के बाद सरकारी प्रक्रियाओं और उसके उलझनों के हैं। सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और समय सीमा का पालन करने के दावों की ये तारीखें पोल खोलती हैं। केंद्र सरकार ने 2018 में 200 करोड़ में एमएसएमई टेक्नोलॉजी सेंटर बनाने का ऐलान किया था। इसके लिए राज्य सरकार को 20 एकड़ जमीन देनी थी। इसके बाद से आज तक सिर्फ चिटि्ठयां ही चल रही हैं।
मौके पर निर्माण तो दूर जमीन हैंडओवर नहीं हो पाई है, जबकि जगह तय हुए भी सालभर से ज्यादा समय बीत चुका है। कलेक्टर को जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द पूरी करनी थी, लेकिन राजस्व अमले की सुस्ती के कारण एक साल बाद 11 अगस्त 2023 को जिला व्यापार एवं उद्योग (डीआईसी) को आधिपत्य मिला। अब विभाग ने डायरेक्टर से पूछा है कि जमीन किसके नाम करनी है?
कोनी में 20 एकड़ जमीन फाइनल, लेकिन अब तक हैंडओवर नहीं की गई
केंद्र सरकार ने 13 सितंबर 2019 को दी स्वीकृति :
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के आयुक्त ने छत्तीसगढ़ के प्रमुख सचिव को स्वीकृति की जानकारी देते हुए एक्सपर्ट कमेटी गठित कर इसके लिए उपयुक्त स्थल चयन करने को कहा था।
उद्योग संघ ने 1 अक्टूबर को बताए विकल्प:
जिला लघु एवं सहायक उद्योग संघ ने एक अक्टूबर 2019 को प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर सिलपहरी, ग्राम सेलर सीपत और यदुनंदन नगर तिफरा को उपयुक्त बताया।
6 नंवबर को निरीक्षण के लिए आई टीम:
साइट देखने तीन अधिकारियों की टीम नवंबर 2019 को टीम बिलासपुर आई। दिल्ली के डेवलपमेंट कमिश्नर दीपक राव, रायपुर से डायरेक्टर राजीव एस. नायर और दुर्ग सेंटर के डीजीएम रितेश टांडेकर ने प्रस्तावित जगहों का निरीक्षण किया।
19 दिसंबर सचिव को भेजी जानकारी:
प्रस्तावित जगहों के निरीक्षण के बाद बिलासपुर कलेक्टर ने 19 दिसंबर 2019 को सचिव को देखी गई सभी भू-खंडों की जानकारी भेजी। जिसमें ग्राम रमतला में तीन व ऐदुलकापा, नगोई के दो स्थल शामिल थे।
मार्च 2020 में कोरोना से प्रक्रिया ठप:
कलेक्टर द्वारा भूखंडों की जानकरी भेजने के बाद जनवरी 2020 को उद्योग विभाग ने जानकारी मांगी। मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ा। फिर अगले एक साल तक टेक्नोलॉजी सेंटर की फाइल आगे नहीं बढ़ी।
21 मार्च को आवंटन:
भू-बंटन शाखा ने 21 मार्च 2023 जमीन वाणिज्य एंव उद्योग विभाग को आवंटित की। आरआई और पटवारी को सीमांकन की कार्रवाई पूरी कर अधिपत्य देने के निर्देश दिए।
23 जुलाई को सीमांकन:
आदेश के पांच माह बाद आरआई और पटवारियों की टीम ने 23 जुलाई 2023 को सीमांकन को पहुंचे। मौके पर 16.61 एकड़ शासकीय व 3.39 एकड़ भूमि आईटीआई की मिली।
11 अगस्त को आधिपत्य आदेश:
आरआई और पटवारियों ने सीमांकन के 18 दिन बाद 11 अगस्त अपनी रिपोर्ट सौंपी। राजस्व विभाग ने जिला व्यापार एंव उद्योग विभाग के नाम आधिपत्य आदेश जारी किया।
डीआईसी ने मांगा मार्गदर्शन:
आधिपत्य आदेश मिलने के बाद जिला व्यापार एवं उद्योग विभाग ने डायरेक्टर को पत्र लिखते हुए आगे जमीन किसके नाम करनी है, यह पूछा है। इसका जवाब अब तक विभाग को नहीं आया है।
4 हजार युवाओं को फायदा
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा भुवनेश्वर के बाद दूसरा सबसे बड़ा सेंटर बिलासपुर में बनाया जाना है। इस सेंटर से संभाग के चार हजार से अधिक युवाओं को आधुनिक उपकरणों व एडवांस टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण आसानी से मिल सकेगा।
अभी हैंडओवर नहीं हुई है
एमएसएमई के लिए जमीन फाइनल तो हो गई है पर अब तक हमें हैंडओवर नहीं हुई है। मामला कहां फंसा है, यह बता पाना मुश्किल है, क्योंकि पहले राजस्व विभाग डीआईसी को देगा। फिर इसे हमें हैंडओवर किया जाएगा।
-सीके उरेती, जीएम, सीएसआईडीसी बिलासपुर
सीएसआईडीसी देगा जमीन
अभी जमीन एमएसएमई को नहीं मिली है। जमीन स्टेट का पार्ट है, इसलिए उनकी तरफ से क्या किया जा रहा है। यह बता पाना मुश्किल है, लेकिन अब तक सीएसआईडीसी से सेंट्रल को जमीन मिल जानी चाहिए थी। प्रोजेक्ट इसकी वजह से पिछड़ रहा है।
-राजीव एस नायर, डायरेक्टर, एमएसएमई छत्तीसगढ़
हमने ऊपर सूचना दे दी है
अतिरिक्त कलेक्टर ने 3 मार्च 2023 को जमीन आवंटित की थी। इसकी सूचना हमें रायपुर से कुछ समय बाद मिली। 11 अगस्त को जमीन डीआईसी के आधिपत्य में आया। हमने उसी दिन इसकी सूचना ऊपर दे दी है। साथ ही, आगे जमीन किसके नाम करनी है, यह भी मार्गदशन मांगा है।