ब्यूरोचीफ
सुनील खोब्रगढ़े-
बालाघाट– – विपरीत परिस्थितियां व्यआक्ति को कठिन संघर्ष करने मजबूर कर देती हैं और कठिन संघर्षों से गुजरा व्यतक्ति ही सफलता के मुकाम हासिल करता है। कुछ ऐसी ही कहानी है छात्रा काजल मेश्राम की। गरीबी और अभावों में पली बढ़ी 22 वर्षीय काजल अब मध्यमप्रदेश शासन एवं बालाघाट जिला प्रशासन के सहयोग से आस्ट्रेीलिया में दो वर्षों तक भौतिक शास्त्र में शोध अध्यपयन करेगी। काजल जून माह में अपने वीसा आदि की कार्यवाही पूर्ण कर आस्ट्रेटलिया चली जायेगी और माह जुलाई से उसकी कक्षायें प्रारंभ हो जायेगी। काजल ने अब तक अपने जीवन में जो संघर्ष किया है और जिस मुकाम पर पहुंचने जा रही है वह सभी छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणादायक है। काजल का संघर्ष यही सीख देता है कि हालात कितने ही कठिन क्योंह न हो हमें हार नहीं मानना चाहिए।
बालिका कुमारी काजल मेश्राम बालाघाट जिले के छोटे से ग्राम तिलपेवाड़ा की रहने वाली है। कालज के परिवार में उसका एक छोटा भाई और एक छोटी बहन है। पिता शराब के सेवन के आदि होने के कारण मां से मारपीट करते थे और वह अपने परिवार को छोड़कर अलग रहने लगे हैं। काजल की मां ने अपने बच्चों के भविष्यि को बेहतर बनाने के लिए पूरा प्रयास किया है। काजल ने बताया कि उसे कक्षा 6 वीं से ही हट्टा के छात्रावास में भर्ती करा दिया गया था। लेकिन बहुत कम उम्र होने के कारण वह छात्रावास छोड़कर आ गई। हट्टा में 8वीं तक की पढ़ाई करने के बाद उसने बालाघाट के शासकीय उत्कृाष्टम विद्यालय में प्रवेश लिया था और छात्रावास में रहकर पढ़ाई की। कक्षा 10 वीं में उसने 94 प्रतिशत एवं 12 वीं में 90 प्रतिशत अंकों के साथ पास की है। कक्षा 10 वीं में गणित में उसे 100 में से 100 अंक मिले थे। अनुसूचित जाति वर्ग में वह कक्षा 10 वीं में जिले में प्रथम स्था न पर रही है। छात्रावास में रहकर ही उसने पीजी कालेज से 77 प्रतिशत अंकों के साथ बी.एस-सी.(B.Sc.) किया है।
काजल ने बताया कि जेईई में भी वह पास हो चुकी थी, लेकिन यहां भी पैसों की कमी के कारण नहीं जा सकी। वह बी.एस-सी.(B.Sc.) करने के बाद यूपीएससी करना चाहती थी। लेकिन गरीबी और पैसों के अभाव में उसका यह सपना भी अधूरा रह गया । इसके बाद उसने अमेरिका, ब्रिटेन एवं आस्ट्रेलिया में भौतिक में रिसर्च वर्क के लिए आनलाईन आवेदन किया था। उसका सभी स्था न पर चयन हो गया है। लेकिन अधिक रुपये लगने के कारण वह अमेरिका एवं ब्रिटेन नहीं जाना चाहती है। उसका चयन आस्ट्रेकलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोालाजी एंड एस्ट्रोणफिजिसक्सत में रिसर्च के लिए हुआ है और यह दो साल का कोर्स है। काजल की मां दूसरे घरों में छोटे-मोटे काम कर अपने बच्चोंो को पढ़ा रही है और कालज का आस्ट्रेनलिया जाने का खर्च वहन नहीं कर सकती है। इसके चलते काजल मदद की गुहार लगाने कलेक्ट्रे ट कार्यालय जनसुनवाई में पहुंच गई और कलेक्टनर को अपनी समस्याक बताया।
काजल की लगन को देखकर कलेक्टकर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा ने वस्तुढस्थिति की जांच कर आदिम जाति कल्या्ण विभाग से काजल के लिए विदेश अध्यदयन छात्रवृत्ति स्वीगकृत करा दी है। कलेक्टयर की पहल पर आदिम जाति कल्यामण विभाग द्वारा उसके विदेश में पढ़ाई के दौरान रहने का खर्च वहन करने की स्वी्कृति प्रदान कर दी गई है। ऑस्ट्रेलियाई आप्रवासन दिशानिर्देश के अनुसार छात्रा काजल मेश्राम के आस्ट्रे लिया में पढ़ाई के दौरान रहने का प्रति वर्ष का खर्च (ट्यूशन और यात्रा लागत को छोड़कर) 21041 आस्ट्रे्लियन डालर है। इसमें से 13532 आस्ट्रेौलियन डालर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। शेष 7600 आस्ट्रेेलियन डालर का खर्च जिला प्रशासन बालाघाट द्वारा छात्रा काजल के स्ना्तकोत्त्र की पढ़ाई पूरी होने तक वहन करेगा।
कलेक्टेर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा द्वारा आज 26 मई को छात्रा काजल मेश्राम को इस आशय का प्रमाण पत्र सौप दिया गया है। इस प्रमाण पत्र के मिलने से छात्रा काजल मेश्राम का आस्ट्रे लिया जाने के लिए वीसा बनाने का मार्ग प्रशस्तर हो गया है। छात्रा काजल मेश्राम एक सप्तातह में वीसा आदि की कार्यवाही पूरी कर माह जून 2023 से अपनी पढ़ाई के लिए आस्ट्रे लिया रवाना हो जायेगी। काजल आस्ट्रे लिया में अपना रिसर्च वर्क पूरा करने के बाद ईसरो में सेवायें देना चाहती है। काजल प्रतिभाशाली बालिका है। वह ड्राइंग प्रतियोगिता में प्रदेश में प्रथम स्थाान हासिल कर चुकी है और संभाग स्त्रीय संस्कृलत प्रतियोगिता में भी वह दो बाद टाप कर चुकी है। मां तुझे प्रणाम योजना में वह कन्यााकुमारी जा चुकी है और विज्ञान मंथन यात्रा में ईसरो एवं रिसर्च स्पे श सेंटर हैदराबाद भी जा चुकी है।