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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में जीरो से हीरो बना यूपी, हरियाणा सबसे आगे

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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं अभियान में पिछले एक साल में यूपी ने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है। इसके लिए उसे लिंगानुपात में शानदार प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में स्थान मिला है। शुक्रवार को दिल्ली के अशोका होटल में आयोजित कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने पुरस्कार दिए। इसमें सम्मानित हुए अन्य पांच राज्यों में हरियाणा ने सबसे ज्यादा लड़कियों की जनसंख्या बढ़ाकर अव्वल स्थान प्राप्त किया है। उत्तराखंड, दिल्ली और राजस्थान को इसी श्रेणी में सम्मान मिला। एक साल में केंद्र और राज्य के प्रयास से देश भर में औसतन प्रति एक हजार पुरुषों पर 931 महिलाओं की जनसंख्या में जन्म के समय वृद्धि हुई है। पिछले साल केवल जिला स्तर पर गिनती के पुरस्कार लेने वाले उत्तर प्रदेश ने एक साल में सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में न केवल पुरस्कार प्राप्त किया। यूपी के जिलों का भी जलवा समारोह में सबके सिर चढ़ कर बोला। इस अवसर पर यूपी सरकार की मंत्री ने एलान किया कि सरकार का लक्ष्य बेटी को जन्म से लेकर पढ़ाने तक ही नहीं बल्कि उसके स्वावलंबी बनने तक उसकी मदद करना है। इसके लिए राज्य बेटियों की संपूर्ण निगेहबानी करने की योजना पर काम कर रहा है। इसमें एक बेटी समाज की पक्की तरक्की नारे के साथ प्रदेश सरकार इस अभियान को और तेजी से विस्तार देने पर काम कर रही है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के राष्ट्रीय पुरस्कार दो श्रेणियों में दिए गए। इसमें जन्मदर सुधारने के लिए छह राज्यों और नौ जिलों में लिंगानुपात सुधारने और 10 जिलों को जागरूकता बढ़ाने के लिए सम्मानित किया गया।

कन्या को जन्म के समय ही बचाने के लिए यूपी के इटावा, हरियाणा के महेंद्रगढ़ और भिवानी, उधम सिंह नगर उत्तराखंड, नामक्कल तमिलनाडु, जलगांव महाराष्ट्र, रायगढ़ मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, जोधपुर, अरूणाचल प्रदेश और राजस्थान को सम्मानित किया गया।

इसी क्रम में बेटियों को जन्म से लेकर उनकी परवरिश करने केलिए जागरूकता फैलाने के लिए भी जिलों को सम्मानित किया गया। केंद्र सरकार हर जिले को सालभर जागरूकता के लिए 50 लाख रुपयों का बजट मुहैया कराती है। इस अवसर पर महिला और बालविकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले पांच सालों में कन्या जन्मदर में 13 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्शाती है कि देश में आर्थिक विकास ही नहीं हो रहा, सामाजिक स्तर पर भी हम समग्र समाज की स्थापना की ओर बढ़ रहे हैं।

देश में पहले प्रति एक हजार पुरुषों पर 918 महिलाओं का अनुपात था। जो 2018-19 में बढ़कर प्रति एक हजार पर 931 महिलाओं का हो गया है। 2015 में शुरू हुआ अभियान 640 जिलों में जन अभियान बन गया है। उन्होंने कहा आगामी वर्ष में हम कन्या को जन्म से लेकर उसके सुंदर भविष्य के निर्माण की योजनाओं को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना में समाहित करने के लक्ष्य को लेकर काम करेंगे।

यूपी और उत्तराखंड ने जिस तरह से राज्य से लेकर जिला स्तर तक के पुरस्कारों पर अपनी आमद दर्ज कराई उसे प्रदेश के महिला एवं बाल विकास मंत्री ने प्रसन्नता जाहिर की उत्तर प्रदेश की मंत्री स्वाति सिंह ने कहा इस सम्मान ने यूपी सरकार के बेटियों को पालने और पढ़ाने की मुहिम के आगे बढ़ाने की राह प्रशस्त की है। प्रदेश में यह पहले ही जन आंदोलन था जो इस सम्मान से ज्यादा गतिवान हो गया है। सिंह ने कहा इस क्रम में आगे बढ़ते हुए राज्य सरकार जल्द कन्या सुमंगल योजना लाने जा रही है। जिससे बेटियों की 12वीं के बाद की पढ़ाई भी आसान हो जाए। अमर उजाला से बातचीत में स्वाति सिंह ने कहा यूपी में एक साल पहले जब काम शुरू किया तो बहुत सारी चुनौतियां थी। पूर्वांचल में प्रति एक हजार पुरुषों पर लगभग 900 महिलाएं और पश्चिमांचल में यह आंकड़ा और कम यानि केवल 800 के लगभग था।

बेटी के जन्म को अभिशाप से वरदान में बदलने के लिए समाज की मानसिकता को बदलना आसान नहीं था। राज्य सरकार ने इसके लिए मुखबिर योजना का आगाज किया। कन्या जन्म को प्रकृति से जोड़ा। पौधे के नर्सरी से पेड़ तक पनपने के क्रम को समाज में लड़कियों के जन्म से लेकर लालन-पालन तक से जोड़ा। माता-पिता को जागरूक किया गया। ब्लॉक स्तर पर सीधे मुख्यमंत्री की निगरानी में सघन जागरूकता अभियान और मंत्रालय के अथक प्रयासों ने महिलाओं को विश्वास में लिया। इससे समाज की धारणा बदली। इसका नतीजा सामने है, हम लिंगानुपात बढ़ाने में पहले छह राज्यों में आ गए हैं। जिलों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है। दो जिलों इटावा और फर्रुखाबाद को भी अच्छे काम के लिए सम्मान मिला। इसके अलावा राज्य सरकार कन्या सुमंगल योजना ला रही है। इसमें स्नातक तक की पढ़ाई की जिम्मेदारी राज्य सरकार लेने जा रही है।

हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा पूरी दुनिया को विज्ञान विकास का रास्ता दिखा रहा है। लेकिन हरियाणा के लिए यह विज्ञान अभिशाप बन गया था। इसके चलते कन्याओं को जन्म से पहले ही रोका जा रहा था। उन्होंने कहा वह इसका श्रेय प्रदेश की ढाई करोड़ जनता को देती हैं। प्रदेश में जब 22 जनवरी, 2015 में काम शुरू किया गया था तो यह आंकड़ा 1000/ लगभग 800 था जो आज बढ़कर कई जिलों में 900 से भी अधिक हो गया है। हरियाणा को लिंगानुपात बढ़ोत्तरी में देश में पहला स्थान मिला है। यह लंबी छलांग है। अब राज्य सरकार को अपने अथक प्रयासों से अगले साल इसमें रिकार्ड बनाना है। जिसकी शुरुआत आज मिले सम्मान से होगी ऐसा उन्हें विश्वास है।