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रेल यात्रा के दौरान यात्रियों की प्यास बुझानें वाली रेल नीर के बनने की कहानी

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भारतीय रेल में यात्रा के दौरान और रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को सस्ता स्वच्छ पानी मुहैया कराने के लिए शुरुआत की गई। बोतलबंद पानी रेल नीर की यात्रा साल 2003 में की गई थी करीब 70 हजार बोतलो के उत्पादन के साथ शुरु हुई ये कहानी आज देशभर के अलग अलग हिस्सों में फैला 10 यूनिट के साथ रोजना 10.92 लाख लीटर तक पहुंच गई है। वहीं, अगर देशभर के स्टेशनों और ट्रेनो में खपत की मांग की बात करे तो 18 से 20 लाख बोतल रोजाना की हैं।

मौजूदा समय में रेलवे 45 से 50 फीसदी जरुरत को ही पुरा करती हैं बीते 2018-19 में रेलनीर के प्लॉंट में कुल 21.5 करोड़ वॉटर बोतल का उत्पादन किया। न्यूज24 संवाददाता कुन्दन सिंह ने हॉपुड़ स्थित रेलनीर प्लॉट का जायजा लिया।मौजूदा समय में दिल्ली के नांगलोई, पटना के पास दानापुर में चेन्नई के पास पालुर में, मुबंई के पास अंबरनाथ में, यूपी में अमेठी और हापुड़, त्रिवेंद्रम के पास परासाला, छतीसगढ के विलासपुर में अहमदाबाद के सानंद में भोपाल के पास मंडीदीप में चल रहा है।

वहीं, आने वाले समय में नागपुर, हावड़ा, भुसावल, गोहाटी हिमांचल के उना के साथ ही जबलपुर में 6 नये प्लॉट कमीशन होने है जिसके साथ ही रेलनीर की उत्पादन क्षमता करीब 8 से 9 लाख लीटर रोजाना की और बढ़ जायेगी जिसके बाद रेलनीर रोजाना की जरुरतों को पुरा कर पायेगी।