Home समाचार दुनिया के एकमात्र ऐसा क्रिकेटर जिसकी तस्वीर नोट पर छापी गयी। जानिए...

दुनिया के एकमात्र ऐसा क्रिकेटर जिसकी तस्वीर नोट पर छापी गयी। जानिए कौन है वो

42
0

वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम, जिसे बोलचाल में और जून 2017 से आधिकारिक रूप में विंडीज बोला जाता है। यह कॅरीबियाई क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली एक बहुराष्ट्रीय क्रिकेट टीम है जिसे क्रिकेट वेस्ट इंडीज़ प्रशासित करता है। यह एक समग्र टीम है जिसमें खिलाड़ियों का चयन 15, मुख्य रूप से अंग्रेजी भाषी कैरेबियाई क्षेत्रों की एक श्रृंखला से किया जाता है, जिसमें कई स्वतंत्र देश और अधीन क्षेत्र शामिल हैं। 7 अगस्त 2017 तक वेस्ट इंडीज की क्रिकेट टीम आईसीसी द्वारा जारी रैंकिग में टेस्ट मैचों में दुनिया में आठवाँ, एकदिवसीय में नौवां और ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय में चौथा स्थान रखती है।
फ्रैंक वॉरेल दुनिया के एकमात्र क्रिकेटर हैं जिनकी तस्वीर नोट पर छापी गई 

दोस्तों क्रिकेट के मैदान में, हर दशक, प्रत्येक देश में कई उस्ताद खिलाड़ी पैदा होते ही हैं.बल्लेबाजी और गेंदबाजी में बहुत सारे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने शानदार किताब जीते हैं. खुद के खेल (क्रिकेट) के साथ ही अपने देश में खेल के मूल्यों को लगातार ऊंचा रखकर बहुत कम लोग सफलता हासिल करते है. क्रिकेट का नाम लेते ही मन में दर्शकों से भरा स्टेडियम और रनों के साथ जमकर लगने वाले चौको, छक्कों की छवि निर्माण होने लगती है. फ्रैंक वॉरेल वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान थे, जिनकी तस्वीर वहां के 5 डॉलर के नोट पर छपी है. उनके अमूल्य योगदान के कारण उनकी तस्वीर नोट पर छापी गई थी.
दोस्तों व्यक्तिगत खेल जीवन से रिटायर होने के बाद हमारे देश में कई क्रिकेटर राजनीति, फिल्म और समाज सेवा में अपना बहुमूल्य योगदान देते है. लेकिन वेस्ट इंडीज के इतिहास में फ्रैंक वॉरेल एक महत्वपुर्ण व्यक्तितत्व हे, जो वेस्ट इंडीज के मशहूर क्रिकेटर रह चुके है. उनका वेस्टइंडीज की टीम पर भारी प्रभाव पड़ा था. उन्होंने 40 साल वेस्ट इंडीज के लिए क्रिकेट खेला है.वह क्रिकेट में महानतम योगदानों की वजह से जाने जाते है. फ्रैंक मोर्टिमर मैग्लिन वॉरेल का जन्म 1 अगस्त 1924 को सेंट माइकल, बारबाडोस में हुआ था.
साल 1960 से पहले वेस्टइंडीज में अंग्रेजो का वर्चस्व हुआ करता था. अश्वेतों को हीन भावना से देखा जाता था और उन्हें किसी भी काबिल नहीं समझा जाता था. उसी दौरान स्थानीय अख़बारों ने वॉरेल की बल्लेबाज़ी और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम की कप्तानी सौंपने के लिए एक कैंपेन चलाया था, जिसमे लोगो ने उन्हें बेहद पसंद किया. और अख़बारों की मेहनत सफल हुई.
वॉरेल को टीम का कप्तान बना दिया गया. 1960 और 1961 के दौर में उन्होंने अपनी टीम का सफल नेतृत्व किया और टीम को एक नए आयाम पर भी पहुंचाया. उनकी खासियतों की वजह से साथी खिलाड़ियों के साथ साथ विरोधी खेमे के खिलाड़ी भी उनकी तारीफ किया करते थे. वॉरेल की योग्यता को देखते हुए उन्हें जमैका में सीनेटर चुना गया. इसके अलावा उन्होंने द्वीपों के खिलाड़ियों को एकजुट करके वेस्टइंडीज टीम बनाने में भी अहम रोल निभाया.
वो वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के पहले अश्वेत कप्तान थे.
वॉरेल न केवल क्रिकेट बल्कि बाहर की दुनिया में भी एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए थे. वेस्टइंडीज विश्वविद्यालय में वह वार्डन के रूप में काम कर रहे थे. कुछ समय के लिए, वह डीन भी थे और खेल का कामकाज और नियोजन भी देखते थे. उन्होंने वहां ऐसी छाप छोड़ी थी कि, बारबाडोस के कैंप का क्रिकेट ग्राउंड को 3W’s के नाम से संभोधित किया जाता था, जो की फ्रैंक वॉरेल, क्लाइड वालकॉट और एवर्टन वीक्स परिचय था.
वॉरेल का टेस्ट करियर 1963 में इंग्लैंड में समाप्त हुआ. खेल छोड़ने के तुरंत बाद एक खिलाड़ी को प्रबंधन की नौकरी नहीं सौंप जाती लेकिन वॉरेल के शारीरिक फिटनेस और खेल की समझ से वो सही उम्मीदवार थे. इसलिए उन्हें टीम मैनेजर बना दिया गया था. वॉरेल ने 1963-64 में खेलना छोड़ दिया और जल्द ही उन्हें वेस्टइंडीज टीम का मैनेजर नियुक्त किया गया. सोबर्स को कप्तान बनाया गया था और वॉरेल टीम के लिए एक मार्गदर्शक बने रहे. 1967 में ल्यूकेमिया के कारण सर फ्रेंक वॉरेल का 42 वर्ष की आयु में निधन हो गया.