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‘सरकार’ की छमाही परीक्षा में डॉ. गोविंद सिंह टॉपर, उच्च शिक्षा मंत्री जीतू मेरिट में, स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम फिसड्डी

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मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा तैयार कराई गई कैबिनेट मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट आ चुकी है। पांच बिंदुओं पर तैयार इस ‘छमाही परीक्षा’ की रिपोर्ट में संसदीय कार्यमंत्री डॉ. गोविंद सिंह टॉपर हैं, जबकि स्कूल शिक्षा जैसे बेहद अहम विभाग के मंत्री प्रभुराम चौधरी इस परीक्षा में फिसड्डी साबित हुए हैं। उन्हें सिर्फ 17 नंबर मिले हैं। सिर्फ तीन मंत्री ऐसे हैं, जिन्हें 4.5 रेटिंग मिली है। दरअसल, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने निजी एजेंसी और इंटेलिजेंस से यह रिपोर्ट तैयार करवाई है। रेटिंग के आधार पर 3 मंत्री पुअर कैटेगरी में हैं। विस्तृत खबर पढने के लिए क्लिक करे

परफॉर्मेंस के 5 पॉइंट्स

जिलों, विभाग में ट्रांसफर/पोस्टिंग

प्रभार के जिले की कामकाज रिपोर्ट

कार्यकर्ताओं, विधायकों के साथ व्यवहार

विभागीय कामकाज और अन्य समीक्षा

इंटेलिजेंस एजेंसी की रिपोर्ट

एक्सीलेंट+परफॉर्मर (4.5 स्टार )

डॉ. गोविंद सिंह (सहकारिता, जीएडी) 46/50

* इंटेलिजेंस रिपोर्ट में सबसे ज्यादा नंबर, बाकी में अच्छे अंक।

सात बार के विधायक । दिग्विजय के करीबी माने जाते हैं। 1990 में पहली बार विधायक चुने गए। 1998 में दिग्विजय सरकार में इन्हें गृह राज्य मंत्री बनाया गया। सहकारिता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी रहे। बाद में सहकारिता विभाग के कैबिनेट मंत्री बने।

जीतू पटवारी (खेल एवं उच्च शिक्षा) 45/50

* डिपार्टमेंट के काम में इन्हें सबसे ज्यादा नंबर मिले हैं।

2018 में दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। वर्तमान में खेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री। वर्ष 2013 में पहली बार राऊ विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हैं। राहुल गांधी के करीबी नेता माने जाते हैं।

महेंद्र सिंह सिसोदिया (श्रम ) 45/50

* विधायकों के साथ व्यवहार,ट्रांसफर पोस्टिंग में अच्छे नंबर।

श्रम विभाग के मंत्री। पहली बार वर्ष 2013 में बमोरी से विधायक चुने गए। दूसरी बार के विधायक। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के माने जाते हैं। क्षेत्र में पकड़ मजबूत। विधायकों और जनता के साथ समन्वय बनाने में माहिर।

एक्सीलेंट परफॉर्मर ( 4 स्टार )

तरुण भनोट (वित्त) 42/50

* प्रभार जिले की रिपोर्ट और डिपार्टमेंट के काम में बेहतर। जबलपुर पश्चिम से विधायक। कमलनाथ गुट के माने जाते हैं।

जयवर्धन सिंह (नगरीय प्रशासन) 41/50

* कार्यकर्ताओं, विधायकों से व्यवहार में सबसे ज्यादा अंक। राघौगढ़ से दूसरी बार विधायक बने। दून स्कूल से पढ़ाई की।

तुलसी सिलावट (लोक स्वास्थ्य) 41/50

* कार्यकर्ताओं से व्यवहार और जिले के काम में बेहतर। चौथी बार विधानसभा पहुंचे। सिंधिया के खेमे के मंत्री हैं।

सुखदेव पांसे (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी) 41/50

* प्रभार जिले के काम में सबसे ज्यादा अंक मिले। तीन बार से विधायक हैं। सीएम कमलनाथ गुट के मंत्री हैं।

हुकुम सिंह कराड़ा (जल संसाधन) 41/50

* सभी पैमानों पर इन्हें बराबर अंक मिले हैं। 1993 में पहली बार विधायक चुने गए। 5 बार के विधायक हैं।

गुड + परफॉर्मर ( 3.5 स्टार )

प्रद्युम्न तोमर (नागरिक आपूर्ति) 37/50

वर्ष 2008 में पहली बार विधायक बने। 2018 में दूसरी बार विधानसभा पुहंचे। सिंधिया गुट के विधायक माने जाते हैं।

लाखन सिंह (पशुपालन ) 37/50

1998 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। इस बार तीसरी बार भितरवार सीट से विधायक बने। सिंधिया गुट के विधायक।

ब्रजेंद्र सिंह राठौर (वाणिज्यिक कर) 36/50

पांच बार के विधायक हैं। 1993 में पहली बार विधायक चुने गए। 1998 में दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे। पृथ्वीपुर से विधायक।

लखन घनघोरिया (सामाजिक न्याय) 35/50

पहली बार 2008 में विधायक चुने गए। जबलपुर पूर्व से विधायक। कमलनाथ के गुट के नेता माने जाते है ।

गुड परफॉर्मर ( 3 स्टार )

उमंग सिंगार (वन) 34/50

2008 में पहली बार गंधवानी से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद वर्ष 2013 में दूसरी बार और वर्तमान में तीसरी बार के विधायक हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सीधे जुडे ।

विजय लक्ष्मी साधौ (चिकित्सा शिक्षा) 32/50

1985 में विधानसभा में पहली बार सदस्य चुनी गर्इं। 1989- 90 में संसदीय सचिव और 1993 में पर्यटन व संस्कृति मंत्री रहीं। पचौरी खेमे की मानी जाती हैं।

ओमकार मरकाम (जनजातीय कार्य) 32/50

2008 में पहली बार विधायक चुने गए। वर्ष 2013 में दूसरी बार और वर्ष 2018 में तीसरी बार विधायक हैं। पूर्व सीएम दिग्विजय के करीबी रहे। डिंडौरी से विधायक।

कमलेश्वर पटेल (पंचायत, ग्रामीण विकास) 32/50

पहली बार वर्ष 2013 में सिहावल से विधानसभा चुनाव जीता। दूसरी बार के विधायक और पूर्व मंत्री इंद्रजीत पटेल के सुपुत्र। सिहावल से विधायक। ज्योतिरिादित्य सिंधिया गुट से।

बाला बच्चन (गृह, जेल) 31/50

1993 में पहली बार विधायक चुने गए।1998 में दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे। राजपुर (बड़वानी) से विधायक हैं। 2003 से इसी सीट से जीत रहे हैं। कमलनाथ गुट के माने जाते हैं।

आरिफ अकील (अल्पसंख्यक कल्याण) 31/50

1990 में पहली बार विधायक चुने गए। 1998 में राज्य मंत्री बनाया गया। भोपाल उत्तर सीट से लगातार छह बार के विधायक। दिग्विजय गुट के नेता हैं।

सज्जन सिंह वर्मा (पीडब्ल्यू डी ) 31/50

1985 में पहली बार विधायक चुने गए। 1998 से 2003 तक दिग्विजय सिंह के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे। वर्ष 2009 में देवास से सांसद चुने गए।

सचिन यादव (कृषि) 31/50

2013 में पहली बार विधायक चुने गए। दूसरी बार के विधायक। उप मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुभाष यादव के पुत्र एवं पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के भाई।

सुरेंद्र सिंह बघेल (पर्यटन) 30/50

2013 में पहली बार विधायक चुने गए। दूसरी बार के विधायक। पूर्व मंत्री स्वर्गीय प्रताप सिंह बघेल के पुत्र। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह गुट से।

एवरेज परफॉर्मर ( 2.5 स्टार )

हर्ष यादव (कुटीर ग्रामोद्योग) 27/50

सागर के देवरी से विधायक। वर्ष 2013 में पहली बार विधायक चुने गए। दूसरी बार के विधायक और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह गुट के माने जाते हैं।

प्रियव्रत सिंह (ऊर्जा )23/50

वर्तमान में ऊर्जा मंत्री। वर्ष 2003 में पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद वर्ष 2008 के चुनाव में दूसरी बार और इस समय तीसरी बार के विधायक है। दिग्विजय सिंह गुट से।

पीसी शर्मा (जनसंपर्क) 23/50

1998 में पहली बार दक्षिण भोपाल से विधायक चुने गए। दूसरी बार के विधायक। अब विधानसभा भोपाल दक्षिण- पश्चिम में आती है। जनसंपर्क के अलावा विवि-विधाई विभाग भी।

प्रदीप जायसवाल (खनिज संसाधन) 21/50

1998 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। वारासिवनी से निर्दलीय चुनाव लडे और जीते। मंत्रिमंडल में जगह मिली।

पुअर परफॉर्मर ( 2 स्टार )

गोविंद राजपूत (राजस्व, परिवहन) 20/50

2003 में पहली बार विधायक बने। 2008 में दूसरी और 2018 में तीसरी बार सुरखी से विधायक हैं।

इमरती देवी (महिला बाल विकास) 19/50

2008 में पहली बार विधायक चुनी गर्इं। 2018 में तीसरी बार डबरा से निर्वाचित हुर्इं। सिंधिया गुट की विधायक हैं।

प्रभुराम चौधरी (स्कूल शिक्षा) 17/50

1985 में पहली बार विधायक चुने गए। 1989 में संसदीय सचिव रहे। 4 बार के विधायक। सिंधिया खेमे के माने जाते हैं।