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युवक के मना करने पर करती खौफनाक हाल, BF को जबरन वियाग्रा खिला बनाती थी संबंध

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दुनिया के लगभग हर देश में पुरुषों द्वारा महिलाओं से जबरन संबंध बनाने को रेप कहा जाता है लेकिन हैरानी की बात ये है कि कई देशों में अगर महिलाएं किसी पुरुष के साथ जबरन संबंध बनाए तो उसे कानून में रेप नहीं माना जाता है। हालांकि, कई बार पुरुषों को महिलाओं की ओर से भयंकर हिंसा का सामना करना पड़ता है। इसी मुद्दे को सामने लाने के लिए इंग्लैंड के लैंकास्टर यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल ने एक रिसर्च की है। इस रिसर्च में ऐसे करीब 30 पुरुषों से बात की गई है जिनके साथ जबरन संबंध बनाए गए।

बीबीसी इंग्लिश की रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्च में तमाम पुरुषों से मई 2018 से जुलाई 2019 के बीच बात की गई। ऐसे ही एक पुरुष ने बताया कि उनकी पार्टनर बार-बार जबरन संबंध बनाने की मांग करती थी और फिर हिंसा भी करने लगी। यूनाइटेड किंगडम में ‘पुरुषों को संबंध बनाने के लिए मजबूर करने के अनुभव’ टाइटल से रिसर्च को प्रकाशित किया गया है। इसकी लेखिका और लेक्चरर सिओभन वीअर का कहना है कि पुरुषों के साथ जबरन संबंध बनाने को भी रेप कहा जाना चाहिए। पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि उनकी पार्टनर शुरुआत में खुद को ही नुकसान पहुंचाने लगी।

इसके बाद उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया लेकिन इसके छह महीने बाद वह उनके साथ ही मारपीट करने लगी। पीड़ित व्यक्ति ने कहा कि उनकी पार्टनर काम करके आती थी और सीधे संबंध बनाने की मांग करती। वह हिंसक हो जाती। एक रात जब वह उठे तो उन्होंने खुद को हथकड़ी से जकड़ा पाया और तभी गर्लफ्रेंड उनपर स्पीकर उठाकर हमला करने लगी। गर्लफ्रेंड के प्रेग्नेंट होने के बाद कुछ दिनों तक बॉयफ्रेंड के साथ हिंसा नहीं हुई. लेकिन फिर अचानक एक रात बॉयफ्रेंड ने खुद को हथकड़ी से बंधा पाया। गर्लफ्रेंड ने जबरन उन्हें वियाग्रा खिला दिया। पीड़ित ने कहा कि उस वक्त वे बचाव के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहे थे। बाद में साथियों को घटना की जानकारी देने पर पीड़ित शख्स से पूछा गया कि उन्होंने घर क्यों नहीं छोड़ा, उन्होंने वापस उसे क्यों नहीं पीटा?

इस पर पीड़ित बॉयफ्रेंड का कहना है कि वह उनका अपना घर था जो उन्होंने बच्चों के लिए खरीदा था। वे रिलेशनशिप में फंसे हुए महसूस कर रहे थे। सिओभन वीअर की रिसर्च में इस बात को गलत साबित किया गया है कि पुरुष हमेशा महिला से मजबूत होते हैं और उनका बलपूर्वक शोषण नहीं हो सकता । रिसर्च में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि कई बार काउंसलर पुरुषों के साथ होने वाली घटनाओं में मदद करने के लिए पहले से तैयार नहीं होते। ऐसे में पुरुषों के लिए मदद लेना मुश्किल हो जाता है। रिसर्च की लेखिका के मुताबिक, ज्यादातर पीड़ितों ने खुद के साथ हुई हिंसा को रेप माना। लेकिन कानून के तहत रेप का मामला दर्ज न करा पाने पर अफसोस जाहिर किया। बता दें कि अमेरिका के कुछ राज्यों में रेप को लेकर ऐसे कानून बनाए गए हैं जिसमें गैर सहमति से संबंध बनाने पर महिलाओं पर भी मुकदमे हो सकते हैं।