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जानिए कैसे आरबीआई जारी करेगी 5000 के नए नोट

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रिजर्व बैंक ऑफइंडियाके मुताबिक 2018-19 के दौरान 2000 का एक नोट छापने के खर्च में 18.4 % की कमी आई है.

सरकारी डाटा के अनुसार 2017-18 में 2000 का एक नोट छापने की लागत 65 पैसे ज्यादा थी.नवंबर 2016 मेंहिंदुस्तानसरकार ने नोटबंदी की.इसके बाद 2000 के नोटआरबीआईनोट मुद्रण प्रा।लि।ने छापे.यह संस्थाभारतीय रिजर्व बैंककेभीतरकार्यकरती है.

मंगलवार को राज्यसभा में वित्तप्रदेशमंत्री अनुराग ठाकुर ने यह डाटा पेश किया.इसके मुताबिक 2018-19 में 2000 का एक नोट छापने के लिए बीआरबीएनएमपीएल को 3 रु.53 पैसे खर्च करना पड़े जबकि 2017-18 में यह लागत 4 रु.18 पैसे थी.

छपाई की लागत 26 पैसे कम- ठाकुर 
मंत्री ठाकुर ने बताया- 2018-19 में 500 रु।का एक नोट छापने के लिए 2 रु.13 पैसे खर्च हुए जबकि 2017-18 में यह लागत 2 रु.39 पैसे थी.इसी तरह 200 का एक नोट छापने के लिए 2018-19 में 2 रु.15 पैसे खर्च हुए जबकि 2017-18 में यह खर्च 2 रु.24 पैसे था.

रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मुद्रा का मुद्रण द सिक्युरिटी प्रिटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफइंडियालिमिटेड के द्वारा भी किया जाता है.

खर्च में कोई कमी नहीं आई- रिपोर्ट
2018-19 के सत्र में 500 रु।का एक नोट छापने के लिए एसपीएमसीआईएल ने 3 रु.36 पैसे (करीब) खर्च किए जबकि पिछलेवर्षभी यह लागत इतनी ही थी.इसी प्रकार 200 रु।का एक नोट छापने के लिए 2018-19 में 3 रु.12 पैसे खर्च हुए जबकि पिछलेवर्षभी यह खर्च इतना ही था.