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छत्तीसगढ़ : किसानों को जेल भेजे जाने के मामले में एस.डी.एम.द्वारा की जा रही जांच : किसानों को उपलब्ध करायी जा रही है निःशुल्क विधिक सहायता

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कर्ज के मामले में जेल भेजे गए किसानों का मामला संज्ञान में आते ही जिला प्रशासन बस्तर द्वारा मामले की जांच अनुविभागीय दण्डाधिकारी के माध्यम से कराई जा रही है। जांच में प्रथम दृष्टया किसानों के साथ धोखाधड़ी का मामला आ रहा है तथा जांच पूरी होते ही दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी। किसानों को जमानत के माध्यम से राहत पहुंचाने के लिए बस्तर जिला प्रशासन द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
बस्तर जिले के कलेक्टर डॉ. अय्याज तम्बोली ने बताया कि माड़पाल निवासी श्री तुलाराम मौर्य और बस्तर निवासी श्री सुखदास को खेती-किसानी हेतु लिए गए कर्ज के कारण जेल भेजे जाने के मामले की जांच अनुविभागीय अधिकारी श्री जीआर मरकाम के माध्यम से कराई जा रही है। उल्लेखनीय है कि राज्य के पुलिस महानिदेशक ने बस्तर जिले के पुलिस अधीक्षक को किसानों के खिलाफ धोखाधड़ी करने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि भारतीय स्टेट बैंक के कृषि विकास शाखा द्वारा चेक बाउंस होने के कारण दायर परिवाद के आधार पर प्रथम श्रेणी मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी न्यायालय द्वारा श्री तुलाराम मौर्य और श्री सुखदास को नेगोशियेबल, इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया है।
इस मामले में जांच अधिकारी श्री मरकाम के समक्ष दिए गए बयान के मुताबिक यह प्रथम दृष्टया किसानों के साथ धोखाधड़ी का मामला लग रहा है। बताया गया कि तुलाराम मौर्य द्वारा 16 नवम्बर 2009 को भारतीय स्टेट बैंक की कृषि विकास शाखा से किसान क्रेडिट कार्ड का तीन लाख रुपए, ड्रिप के लिए 2 लाख 3 हजार रुपए और फेंसिंग के लिए 60 हजार रुपए का कर्ज लिया गया था। इसी प्रकार का प्रकरण श्री सुखदास का भी है। इस मामले में किसानों के शीघ्र जमानत की कार्यवाही के लिए जिला प्रशासन द्वारा विधिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है और इस धोखाधड़ी के मामले में बैंक, दलालों और अन्य संबंधित लोगांे की भूमिका की जांच की जा रही है।