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रक्षा संस्थानों में लगती बड़ी सेंध शुभ संकेत नहीं है

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नई दिल्ली। रक्षा सामग्री निर्माण और भंडार की दृष्टि से जबलपुर (मप्र) देश का प्रमुख केंद्र है। बोफोर्स के स्वदेशी और उससे कहीं उन्नत संस्करण धनुष तोप के जीसीएफ (गन कैरिज फैक्टरी) में निर्माण की वजह से इसका नाम चमका। लेकिन दो साल पहले धनुष में मेड इन जर्मनी के स्थान पर मेड इन चाइना पार्ट्‌स लगने का मामला भी सुर्खियों में रहा। वहीं, केंद्रीय आयुध डिपो से (सीओडी) से 100 एके-47 गायब हो गईं। दोनों ही मामले अब तक अनसुलझे हैं।

किसने मारा खटुआ को

सैन्य प्रतिष्ठिानों में, जहां कहा जाता है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता, वहां धनुष जैसे अहम प्रोजेक्ट में आसानी से जर्मनी के स्थान पर चीनी बेयरिंग की सप्लाई भी हो गई और खरीदी, भंडारण, सप्लाई, फिटिंग, -क्वालिटी कंट्रोल से लेकर परीक्षण तक की तमाम प्रक्रियाओं में लंबे समय तक इसका पता भी नहीं चला। यदि सैन्य परीक्षण के दौरान धनुष के बैरल में विस्फोट नहीं होता तो शायद यह मामला भी दब जाता।

इससे ज्यादा चौंकाने वाली बात है कि सीबीआई के रडार पर आए बेयरिंग टेंडर का ऑर्डर जारी करने वाले जीसीएफ के जेडब्ल्यूएम एससी खटुआ 17 जनवरी को लापता हो जाते हैं और 5 जनवरी को उनका शव मिलता है। पीएम रिपोर्ट हत्या की ओर इशारा करती है लेकिन पुलिस के हाथ 10 दिन बाद भी खाली हैं।

में सहयोग नहीं कर रहे रक्षा संस्थान

इसके अलावा पिछले साल बिहार के मुंगेर में पुलिस ने दो तस्करों से एके-47 बरामद की। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय आयुध भंडार गृह के आर्मरर पुरुषोत्तम रजक की जानकारी दी। पुरुषोत्तम ने उगला कि उसने 6 सालों में 100 से ज्यादा एके-47 राइफलें सीओडी से चुराई हैं और तस्करों को बेची हैं। इस घटना ने सीबीआई, आईबी, मिलिट्री इंटेलीजेंस के भी कान खड़े कर दिए।

पुलिस का आरोप है सीओडी जांच में सहयोग नहीं कर रही है, अभी तक उसने एके-47 का रिकार्ड भी पुलिस से साझा नहीं किया है। यानी इस सेंधमारी की जड़ें कहीं अधिक गहरी हैं, जो पुलिस जांच को नतीजे तक नहीं पहुंचने देना चाह रही हैं। ये दोनों घटनाएं भारतीय रक्षा संस्थानों के लिए सीधी चेतावनी हैं।

चौंकाता है अनसुलझा चीनी बेयरिंग घोटाला

2012 में जीसीएफ में धनुष तोप बनाने में शुरुआती सफलता मिली तो ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) ने 2013 में तोप के लिए 4 वायर रेस रोलर बेयरिंग की खरीदी को मंजूरी मिली। इसकी फाइल तत्कालीन जीएम एसपी यादव, एजीएम आलोक प्रसाद और प्रॉविजन सेक्शन में पदस्थ जेडब्ल्यूएम एससी खटुआ के हस्ताक्षर से आगे बढ़ी। मेड इन जर्मनी बेयरिंग लगाने के लिए 37 लाख रुपये का टेंडर रहा। यह ठेका दिल्ली की सिंद्ध सेल्स प्रालि को मिला। हालांकि, डिलीवरी देने से पहले 2014 में 4 के स्थान पर 6 बेयरिंग की आपूर्ति का ठेका 57 लाख में इसी कंपनी को दे दिया गया।

इसके बाद कंपनी ने माल की आपूर्ति कर दी। बेयरिंग को फिट करके फैक्टरी से 2015 में धनुष के 3 प्रोटोटाइप सैन्य परीक्षण के लिए भी रवाना कर दिए गए। कुछ परीक्षणों के बाद पोखरण फायरिंग रेंज में एक प्रोटोटाइप के बैरल में विस्फोट हो गया। इसके बाद ओएफबी को धनुष में चीनी बेयरिंग लगाने की शिकायत मिली और 2017 में सीबीआई ने दिल्ली की कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने संस्थान को ब्लैक लिस्ट कर लिया। इस मामले में अभी तक जांच ही चल रही है।

डराता है 100 एके-47 का चोरी होना

केंद्रीय आयुध भंडार गृह में 2012 से 2018 के बीच 100 से ज्यादा एक-47 राइफलें चोरी हो गईं और किसी को पता ही नहीं चला। सुरक्षा संस्थान के कर्मचारियों के साथ मिलकर रिटायर्ड आर्मरर ही इस काम को अंजाम देता रहा। चोरी का यह सिलसिला चलता रहता यदि बिहार पुलिस मुंगेर में एके-47 राइफल के साथ दो हथियार तस्करों को गिरफ्तार नहीं करती। इस मामले में भी बिहार-यूपी पुलिस ने ही 20 से ज्यादा एके-47 राइफलें जब्त की हैं जबकि पूरे मामले में सीओडी प्रबंधन अभी भी चुप्पी साधे बैठा हुआ है।

दोनों मामलों में खाली हाथ पुलिस

जबलपुर पुलिस के एसपी अमित कुमार सिंह ने बताया कि जीसीएफ के जेडब्ल्यूएम रहे एससी खटुआ की हत्या मामले में आरोपितों तक पहुंचने के लिए पुलिस साक्ष्य जुटा रही है। आशंका है कि गुमशुदगी के आसपास ही हत्या को अंजाम देकर शव फेंक दिया गया था। जीसीएफ प्रबंधन से कुछ जानकारियां मांगी गई हैं। आरोपित जल्द पुलिस की गिरफ्त में होंगे।

एसपी ने कहा, सीओडी से एके-47 राइफलों के पार्ट्‌स की चोरी के बाद उससे राइफलें तैयार कर बिहार में नक्सलियों को बेची गईं। क्राइम ब्रांच को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जांच टीम ने सीओडी प्रबंधन से स्टॉक का ब्योरा मांगा है ताकि पता लगाया जा सके कि कितनी राइफलों की चोरी हुई है, लेकिन जानकारी अभी तक नहीं मिली है।

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