राजधानी प्रतिनिधि
दिल्ली – संत निरंकारी मिशन द्वारा आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव के अवसर पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी के पावन सनीध्य मे दिनांक 26 फरवरी 2023, दिन रविवार को अमृत परियोजना के अंतरगर्त “स्वछ जल स्वछ मन” का शुभरम्भ किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य जल संरक्षण तथा इसके बचाव हेतु अपनाए जाने वाली विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाना एवं उन्हे क्रियान्वित रूप देना है। इस परियोजना का मुख्य बिन्दु जल निकायों की स्वछता एवं स्थानीय जनता के बीच जागरूकता अभियान के माध्यम से उन्हे प्रोत्साहित करना है।
बाबा हरदेव सिंह जी द्वारा समाज कल्याण हेतु जीवन पर्यंत अनेक कार्य किए गए जिसमे स्वछता एवं वृक्षारोपण अभियान का आरंभ प्रमुख है और उन्ही की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुए प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष संत निरंकारी मिशन द्वारा सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के निर्देशन मे अमृत परियोजना का आयोजन किया जा रहा है।
संत निरंकारी मिशन के सचिव आदरणीय श्री जोगेन्द्र सुखिजा जी ने इस परियोजना संबधित विस्तृत जानकारी दी कि यह परियोजना सम्पूर्ण भारत वर्ष के लगभग 1000 स्थानो के 730 शहरों 27 राज्यो और केंद्र शाषित प्रदेशों मे विशाल रूप से आयोजित कि जाएगी।
इस परियोजना मे निरंकारी मिशन के करीब 150000 डेढ़ लाख स्वयं सेवक अपने सहयोग द्वारा
जल संरक्षण एवं जल निकायों जैसे समुद्र तट नदियां झीलें तालाब कुएं पोखर जोहड़ विभिन्न झरनो पानी की टंकियों एवं जल धाराओ इत्यादि को स्वछ एवं निर्मल बनाएँगे। मिशन की लगभग सभी शाखाएँ इस अभियान मे सम्मिलित होंगी।
अमृत परियोजना के अंतरगर्त भारत के दक्षिणी तटों के क्षेत्र जिनमे सूरत मुंबई से लेकर गोवा तक का कोंकण बेल्ट, मालाबार तक के कर्नाटक, केरल के तटीय रेखाओं और अरब सागर के पश्चिमी घाट की सीमा को तथा कोरोमंडल तट के दक्षिणी पुरवैया तटीय क्षेत्रों को स्वयं सेवकों की टीमों द्वारा कवर किया जाएगा।
नदियां: इस अभियान मे प्रमुख नदियों को भी शामिल किया गया है। जैसे गंगा , जमुना,घाघरा ,ब्यास महानदी गोदावरी नर्मदा, खारून, कृष्णा, तप्ति, सोन नदी, साबरमती, महि, तवा कोल्लिडम, कावेरी इत्यादि प्रमुख हैं।
समुद्र तटों एवं नदियों की स्वछता हेतु प्रयोग की जाने वाली प्रणालियाँ : प्रकृतिक जल प्रदाय वाले क्षेत्रों मे पाया जाने वाला प्लास्टिक कचरा, अपशिष्ट पदार्थ, झाड़ियाँ आदि को हटाकर समुद्र तटों घाटियों एवं नदियों से हटाकर सफाई की जाएगी।
इसके अतिरिक्त प्रकृतिक एवं कृत्रिम जल श्रोतों मे पायी जाने वाली काई आदि को हटाया जाएगा
निःसंदेश यह परियोजना पर्यावरण संतुलन प्रकृति की सुंदरता और स्वाक्षता हेतु किया जाने वाला एक प्रसंसनीय एवं सरहनीय प्रयास है। वर्तमान मे हम ऐसी ही लोक कल्याणकारी परियोजनाओं को क्रियान्वित रूप देकर अपनी इस सुंदर धरा को हानी से बचा सकते हैं। साथ ही प्रकृतिक संसाधनो के दोहन पर भी रोक लगाई जा सकती है।