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65 फीसदी अभिभावक बच्चों को नहीं भेजना चाहते स्कूल

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प्रदेश सरकार ने मंगलवार की रात कैबिनेट की बैठक के बाद 2 अगस्त से स्कूल खोलने का फैसला किया है। उधर, एक दिन पहले ही आईसीएमआर के सर्वे में ये बात सामने आई 67 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी बन गई है जिससे खतरा कम हो गया है। अब स्कूल खोले जा सकते हैं। इसके बाद भास्कर की टीम ने करीब 110 अभिभावकों से सीधे फोन पर राय ली कि तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच क्या वे अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे या नहीं। यही सवाल ऑनलाइन सर्वे के जरिए भी पूछा गया, जिसमें 802 अभिभावकों ने अपनी राय भेजी।

110 अभिभावक जिनसे सीधे बात की गई, उनमें से 89 लोगों ने सीधे अपने बच्चों को स्कूल भेजने से मना कर दिया, जबकि 21 लोगों ने संशय की स्थिति बतलाई। वहीं, ऑनलाइन सर्वे में 296 यानी 36.9 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे, जबकि 506 लोगों यानी 63.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने बच्चों को अभी स्कूल नहीं भेजेंगे। इस तरह कुल 912 में से 595 यानी 65 फीसदी लोगों का कहना है कि वे अपने बच्चों को अभी स्कूल नहीं भेजना चाहते, वहीं 317 लोगों यानी 35 प्रतिशत ने कुछ सुझावों के साथ स्कूल भेजने के लिए हां कहा।

सरकार के इस फैसले पर बुधवार को एक सर्वे किया। एक सवाल पूछा था कि 2 अगस्त से सरकार स्कूल खोलने जा रही है। क्या आप अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहेंगे। इस सवाल पर अभिभावकों की प्रतिक्रियाएं ऑनलाइन और ऑफलाइन आईं।

  • 2 अगस्त से सरकार ने स्कूलों को खोलने का आदेश जारी किया, ने 110 अभिभावकों से सीधे बात की, इसके अलावा ऑनलाइन सिर्फ एक सवाल पूछा कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे या नहीं, 802 अभिभावकों ने ऑनलाइन रिस्पांस किया, शिक्षकों का भी सर्वे

दूसरे राज्यों की स्थिति

हरियाणा, गुजरात, बिहार और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में भले ही स्कूल खुल गए हैं, लेकिन वहां भी विद्यार्थियों की उपस्थिति कम है। वहां से ऐसी रिपोर्ट मिल रही है कि लंबे समय बाद स्कूल खुलने से बच्चों में आलस है। वे स्कूल आने की बजाए ऑनलाइन ही पढ़ना पसंद कर रहे हैं। कुछ माता-पिता का भय भी है। ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश में ज्यादातर सरकारी स्कूल काफी बड़े-बड़े हैं।

स्कूल खोलने के लिए ये महाराष्ट्र फार्मूला अपनाएगी सरकार

राज्य सरकार ने विभिन्न राज्यों का अध्ययन करने के बाद एक माॅडल अपनाया। यह महाराष्ट्र के मॉडल के करीब है। वहां ग्राम पंचायतों को फ्री हैंड दिया गया है कि वे चाहें तो स्कूल खोल सकते हैं। ऊपर से कोई निर्णय थोपने की बजाए, ग्राम पंचायतों के विवेक पर फैसला करने को कहा गया है।

ऐसी ग्राम पंचायतें जो कोविड फ्री हैं, जहां एक भी मरीज नहीं है, वहां पालकों से बात करके और आठवीं से बारहवीं तक कक्षाएं खोल सकते हैं। मरीज मिलने पर स्कूल बंद होंगे। मुंबई जैसे महानगरों में फिलहाल स्कूल नहीं खोल रहे हैं। कोविड फ्री ग्राम पंचायतों में स्कूल व आंगनबाड़ी खोलना भी शामिल हैं। बताते हैं कि ग्राम पंचायतों की सहमति से स्कूल खोलने के प्रस्ताव को लेकर शिक्षा विभाग में महीनों पहले भी फाइल मूव हुई थी। फाइल काफी आगे जाने के बाद रुक गई।

30 फीसदी शिक्षकों ने कहा- कोई दिक्कत नहीं
अभिभावकों से राय ली, बल्कि 1965 शिक्षकों से भी आनलाइन उनकी परेशानियों पर राय ली। इनमें ये नतीजे सामने आए। कोविड प्रोटोकॉल के मुताबिक बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत आएगी? 1965 में से 1368 यानी 70 फीसदी ने कहा कि दिक्कत आएगी, जबकि 618 यानी 30 प्रतिशत ने कहा कि दिक्कत नहीं आएगी। इसके बाद फिर पूछा कि किस तरह की समस्या आएगी? इनमें 46 फीसदी ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त नहीं है। 34 फीसदी ने कहा कि रिपीट क्लास करनी पड़ेगी। जबकि 36 प्रतिशत ने कहा कि माइंडसेट नहीं बन पा रहा है।

स्कूल खोलने के संबंध में एक हजार से ज्यादा सुझाव भी आए, ज्यादातर ये

  • स्कूल भेजने के पक्ष में सुझाव
  • स्कूल प्रशासन बिना ढिलाई कोविड प्रोटोकाल का हर मिनट पालन कराए।
  • मास्क, हर रोज क्लास रुम का सेनेटाइजेशन हो, हैंड वाश के साथ बैठक व्यवस्था में दो गज दूरी रहे।
  • बसें भी आधी क्षमता के साथ चलाईं जाएं, ताकि खतरा कम हो, बसों को भी रोज सेनिटाइज किया जाए।
  • स्कूल में फौरी इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए, अभी कुछ नहीं, एक डॉक्टर या नर्स मौजूद रहना चाहिए।
  • हर बैंच पर एक ही बच्चे को बिठाया जाए।

जो नहीं भेजना चाहते, उनकी आशंकाएं

  • स्कूल प्रबंधन कितने भी वादे करे वे कोविड प्रोटोकाल का पालन नहीं कर पाएंगे।
  • अभी स्कूल खोलने की जल्दबाजी न करे सरकार और एसोसिएशन।
  • जनवरी तक इंतजार करना चाहिए था, उसके बाद खोलना था।
  • अगले एक साल तक आनलाइन क्लासेस चलाई जा सकती है, बच्चों के वैक्सीनेशन तक रुका जा सकता है।
  • कालेज खोलकर स्थिति का आंकलन करना चाहिए।

सरकार की ऐसी तैयारी

  • स्कूलों में 50 प्रतिशत की उपस्थिति होगी।
  • हाजिरी की अनिवार्यता नहीं है।
  • शेष शिक्षकों व स्टाफ का वैक्सीनेशन जरूरी
  • रोज सेनिटाइजेशन करना
  • बच्चों व शिक्षकों से हाथ धुलवाना
  • दो गज दूरी बनाकर रखना
  • मास्क की अनिवार्यता
  • कोविड फ्री ग्राम पंचायत स्कूल खोलना

(सरकार ने महाराष्ट्र का फार्मूला अपनाया है,जहां इसी तरह से स्कूल खोले गए हैं।)