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छत्तीसगढ़ : ईवीएम और बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर गरमाई राजनीति

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विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद भाजपा ने नया दांव खेला है। कांग्रेस सरकार नगरीय निकाय चुनाव बैलेट पेपर से कराने पर विचार कर रही है। कांग्रेस के इस प्रयास पर भाजपा ने निशाना साधा है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि ईवीएम से जनादेश हासिल कर बैलेट से चुनाव का निर्णय अनैतिक है। भाजपा इसके खिलाफ कैंपेन चलाएगी। राज्यपाल ने नगरीय निकाय संशोधन अध्यादेश पर मुहर लगा दी है। अब राज्य निर्वाचन आयोग को तय करना है कि चुनाव ईवीएम से होगा या बैलेट पेपर से। नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने स्थानीय निकायों में महापौर/अध्यक्ष के अप्रत्यक्ष चुनाव पर प्रदेश कैबिनेट की मुहर लगाने को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया है।

कौशिक ने कहा कि समूचे प्रदेश में मतदाताओं से मेयर चुनने का अधिकार छीन लेना निंदनीय और लोकतांत्रिक प्रणाली पर कुठाराघात जैसा है। बैलेट पेपर से निकाय चुनाव कराने के निर्णय को निहायत ही अनैतिक और बेतुका कहा है। ईवीएम से जनादेश हासिल करके सरकार उसी दिन बैलेट से चुनाव कराने के निर्णय पर मुहर लगाती है, जिस दिन उपचुनाव में जीत का जश्न मना रही होती है। जाहिर है यह जीत भी वोटिंग मशीन से ही मिली है। यह ऐसा ही हुआ जैसे लोकतांत्रिक प्रणाली से सत्ता हासिल कर कोई शासक लोकतंत्र को ही खत्म कर दे।

सरकार के पास एक भी बाजिब तर्क बैलेट पेपर से चुनाव कराने का नहीं है। सरकार को अपने निर्णय पर विचार करना चाहिए। कौशिक ने कहा कि बूथ कब्जा को बढ़ावा देने के अलावा शासकीय तंत्र का दुरुपयोग, लंबी और उबाऊ चुनाव प्रक्रिया, तमाम काम को छोड़ शासकीय कर्मचारियों का लगे रहना, धन की बर्बादी के अलावा टनों कागज का इस्तेमाल आदि ऐसे दुष्प्रभाव हैं, जिनसे बचा जा सकता था। सरकार प्रदेश को पचास वर्ष पीछे ले जाना चाहती है।

कांग्रेस का बयान, भाजपा को जनता ने नकारा

कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कौशिक के बयान से स्पष्ट हो गया कि भाजपा नगरीय निकाय चुनाव में मैदान में उतरने से पहले ही पराजय को स्वीकार कर ली है। सरकार पर तथ्यहीन, मनगढ़त और वादाखिलाफी का आरोप लगाने वाले भाजपा के नेताओं के आरोपों को दंतेवाड़ा और चित्रकोट की जनता ने सिरे से नकार दिया। बैलेट पेपर से चुनाव की बात सुनकर भाजपा नेताओं को पसीना क्यों आता है? भाजपा आखिर बैलेट पेपर से चुनाव लड़ने से डरती क्यों है? कौशिक को भूलना नहीं चाहिए कि वे भी अप्रत्यक्ष प्रणाली से नेता प्रतिपक्ष चुने गये हैं। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का चयन भी अप्रत्यक्ष प्रणाली से होता है। ऐसे में अगर महापौर का चयन भी अप्रत्यक्ष प्रणाली से होता है, तो भाजपा को पीड़ा किस बात की है?