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छत्तीसगढ़ में स्टील फैक्ट्री के संचालकों को सताया गिरफ्तारी का डर

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धरसींवा क्षेत्र के कूंरा, कपसदा गांव स्थित फार्च्चून मेटालिका स्टील फैक्ट्री में काम करने वाले दो सौ मजदूरों को दक्षिण अफ्रीका ले जाकर वहां की फैक्ट्री में बंधक बनाकर काम कराने के मामले में फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ मानव तस्करी का केस दर्ज होने के बाद अब उन्हें गिरफ्तारी का डर सताने लगा है। खबर है कि फैक्टरी मालिक गिरफ्तारी से बचने पुलिस अफसरों पर ऊपरी दबाव डलवा रहे हैं। यही वजह है कि बंधक मजदूरों की जानकारी मांगे जाने के 10 दिन बाद भी उनकी तरफ से पुलिस को कोई सूची उपलब्ध नहीं कराई गई।

धरसींवा थाना प्रभारी नरेंद्र बंछोर ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका से भागकर भारत पहुंचे उत्तराखंड के ऊधमसिंहपुर जिले के टांडा मुस्तहकम पोस्ट कांशीपुर निवासी मजदूर प्रेम सिंह डभोरा ने 17 जून, 2018 को प्रोटेक्टर जनरल ऑफ इमीग्रेशन विदेश मंत्रालय नई दिल्ली में लिखित में यह शिकायत की थी कि वहां की फैक्ट्री में रायपुर से दो सौ मजदूरों को बंधक बनाकर बंधुआ मजदूरी कराई जा रही है। विदेश मंत्रालय इमीग्रेशन विभाग से इस शिकायत की जांच करने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा गया था। वहां से शिकायत एसएसपी के माध्यम से थाने पहुंची। प्रारंभिक जांच के बाद मामले में फैक्ट्री संचालकों के खिलाफ धारा 370, उत्प्रास अधिनियम 1983 की धारा 10, 24 और 25 के तहत अपराध कायम कर लिया गया। अब फैक्ट्री संचालकों का बयान दर्ज करने के साथ बंधक बनाए गए मजदूरों की पूरी जानकारी लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

पीड़ित मजदूर ने बताई आपबीती

प्रेम सिंह ने विदेश मंत्रालय को भेजे गए पत्र में बताया कि वर्ष 2018 में पवन ओवरसीज प्रालि राजेंद्रनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद (उप्र) के एमडी एसएन गर्ग उर्फ पवन कुमार गर्ग ने फार्च्चून मेटालिका स्टील धरसींवा के एमडी अश्वनी गोयल और साउथ अफ्रीका स्थित फैक्ट्री के डायरेक्टर गौरव बसंल से संपर्क कराया था। अश्वनी गोयल ने वीजा की फाइल तैयार कर कुछ सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाए। उसके बाद तीन माह पहले ही उसे रायपुर बुलवाकर फैक्ट्री में काम करवाया। बाद में अपनी रिश्तेदार शिखा बसंल की कंपनी साउथ अफ्रीका स्थित फैक्ट्री में काम करने मई 2018 में भेज दिया गया। वहां मुझसे 12 घंटे की हिसाब से पूरे महीने बिना किसी छुट्टी और हिसाब से काम कराया गया, जबकि उस विदेशी कंपनी में 40 घंटा प्रति सप्ताह से अधिक कार्य लेना अपराध है। प्रेम सिंह का वेतन डेढ़ लाख रुपये भी नहीं दिया गया। वहां पर खाने और मेडिकल की सुविधा भी नहीं थी। उत्पीड़न की शिकायत करने पर उल्टा कंपनी से बाहर होने और मारकर समुद्र में डाल देने की धमकी दी गई। जैसे की पहले भी किसी भारतीय को मार चुके हैं। परेशान होकर प्रेम सिंह परिवार की सहायता से किसी तरह प्लेन से मुंबई पहुंचा। मुंबई से घर जाने के लिए किराया भी नहीं था। सोने की अंगूठी बेचकर घर पहुंचा। रायपुर से साउथ अफ्रीका फैक्ट्री ले जाए गए सभी मजदूरों को बंधक बनाकर काम कराया जा रहा है।