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मोबाइल नेटवर्क बन रहा युवकों की शादी में अड़चन, अब चुनावों के बहिष्कार की तैयारी

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  • महाराष्ट्र के एक गांव का अनोखा विरोध
  • करेंगे विधानसभा चुनाव का बहिष्कार
  • विभागीय आयुक्त को दिया पत्र
  • नेताओं के भी गांव में घुसने पर प्रतिबंध

देश में अब तक सड़क, पानी और बिजली जैसी मूलभूत से समस्याओं को लेकर चुनाव के बहिष्कार की खबरें सुनाई देती रही हैं, लेकिन महाराष्ट्र में एक ऐसा गांव है जहां के ग्रामीणों ने मोबाईल इंटरनेट कनेक्शन न होने पर विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का मन बनाया है। इतना ही नही, ग्रामीणों ने गांव में नेताओं के आने पर भी प्रतिबंध लगाया है। इस सम्बंध में ग्रामीणों ने विभागीय आयुक्त को पत्र भी दिया है।

नहीं है मोबाइल टावरयह अनोखा गांव है कडंकी, जो महाराष्ट्र में औरंगाबाद जिले की कन्नड़ तहसील में है। गांव के लोगों ने इस तरह की अजीबोगरीब मांग करते हुए मतदान के बहिष्कार का फैसला किया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस गांव में एक बीएसएनएल और एक निजी कंपनी का मोबाईल टावर है, लेकिन डेढ़ साल से वह चालू नहीं हो पाया है। हालांकि 10 से 12 किमी की दूरी पर दूसरे टावर हैं, लेकिन उसका रेंज गांव तक नहीं पहुंच पाता है। इससे गांव में मोबाइल नेटवर्क की दिक्कत होती है। कडंकी गांव पहाड़ी पर बसा है और खेती ही लोगों की आजीविका का एकमात्र साधन है। लेकिन, गांव से शहर तक जाने की आधुनिक सुविधा का अभाव है। इसलिए किसानों को उपज का उचित भाव भी नहीं मिल पाता। 2,500 की आबादी वाले इस गांव में आठ ग्राम पंचायत सदस्य है, गांव में करीब 1100 मोबाइल हैंडसेट हैं, लेकिन नेटवर्क ही नहीं है।

रेंज न होने से युवकों की नहीं हो रही शादी

गांव के एक युवक थोरात का कहना है कि गांव में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण बैंक से एसएमएस नहीं आता। खेती उपज का बाजार भाव नहीं पता चलता। मोबाइल संपर्क नहीं होने के कारण कोई अपनी लड़की इस गांव में नहीं ब्याहना चाहता, जिससे युवकों की शादी नहीं हो पा रही है। वहीं, गांव के एक युवक अर्जुन का कहना है कि हम लोगों ने चंदा एकत्र कर गांव के स्कूल में कंप्यूटर और प्रोजेक्टर ले आये, लेकिन नेटवर्क नहीं होने के कारण वह भी बंद है।

साल 1998 में भी किया था चुनाव का बहिष्कार

कडंकी गांव वालों ने इससे पहले साल 1998 में लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया था। इसके चलते मतदानकर्मी खाली पेटी लेकर वापस आ गए थे। लेकिन चुनाव के बाद गांव तक पक्की सड़क बन गई और गांव वालों की मांग पूरी हो गई थी।