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अचानक सड़क पर बिखरने वाला प्याज़ इतना महंगा क्यों हुआ?

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प्याज़ की कीमतें एक बार फिर आसमान छूने लगी हैं. दिल्ली के बाज़ार में कुछ दिन पहले जो प्याज़ 35 से 40 रुपए किलो बिक रहा था. अब वह 60 से 70 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है.

प्याज़ के दाम आम आदमी के आंसू निकाल रहे हैं. राजधानी दिल्ली की आज़ादपुर मंडी में प्याज़ का थोक भाव 50 रुपए बताया जा रहा है.

प्याज़ से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि कीमतों में यह उछाल दरअसल प्याज़ की कम पैदावार का नतीजा है.

आज़ादपुर मंडी में प्याज़ व्यापारी संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र बुद्धिराजा कहते हैं कि पिछले सीज़न में प्याज़ की कीमत 4-5 रुपए प्रति किलो पहुंच गई थी, जिस वजह से किसानों ने इस बार प्याज़ की खेती कम कर दी.

सुरेंद्र कहते हैं कि यही वजह है अब प्याज़ का स्टॉक कम पड़ रहा है और कीमतें ऊपर जा रही हैं.

वो कहते हैं, ”इस बार किसान ने प्याज़ बहुत कम लगाया, लगभग 25 से 30 प्रतिशत कम प्याज़ लगाया गया. इसके साथ ही बरसात की वजह से भी काफी प्याज़ ख़राब हो गया. इसी से डरकर किसान ने प्याज़ जल्दी निकाल दिया था. हमारा माल महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान से आता है. आमतौर पर अप्रैल में जो प्याज़ निकाला जाता है वह दिवाली तक चलता है लेकिन इस बार वो प्याज़ अभी ख़त्म हो चुका है.”

एशिया की सबसे बड़ी मंडी में प्याज़ के भाव

सुरेंद्र यह भी बताते हैं कि दिल्ली की मंडियों में अधिकतर प्याज़ महाराष्ट्र से मंगवाया जाता है और महाराष्ट्र से ही कम प्याज़ दिल्ली भेजा जा रहा है.

दरअसल महाराष्ट्र के लासलगांव में एशिया की सबसे बड़ी प्याज़ मंडी है. देश भर में प्याज़ की कीमतें इसी मंडी से तय होती हैं.

लासलगांव मंडी में भी प्याज का भाव 45-50 रुपए प्रति किलो पहुंच चुका है.

लासलगांव एग्रीकल्चर प्रॉड्यूस मार्केट कमिटी के अध्यक्ष जयदत्ता होलकर बताते हैं कि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में प्याज़ किसानों को मौसम की मार झेलनी पड़ी है. वो कहते हैं कि पहले तो यहां सूखा पड़ा और उसके बाद भारी बारिश की वजह से प्याज़ की फ़सल को काफी नुकसान उठाना पड़ा.

जयदत्ता बताते हैं कि महाराष्ट्र से तो उतना ही प्याज़ भेजा जा रहा है जितना बीते वर्षों में था, लेकिन आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों से प्याज़ की आवक में फर्क पड़ा है.

विदेश से प्याज़ मंगवाने की ज़रूरत है?

हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में सरकार अफ़ग़ानिस्तान, ईरान और मिस्र से प्याज़ आयात करेगी. जिससे इसकी कमी को पूरा कर लिया जाएगा और कीमतें एक बार फिर स्थिर हो जाएंगी.

सरकारी कंपनी एमएमटीसी (मेटल्स एंड मिनरल्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) लिमिटेड ने पाकिस्तान, मिस्र, चीन, अफ़ग़ानिस्तान और अन्य देशों से प्याज़ के आयात के लिए निविदा मंगाई थी जिस पर महाराष्ट्र के किसानों ने आपत्ति जताई थी.

इस संबंध में जयदत्ता होलकर कहते हैं, ”इससे कुछ भी फायदा नहीं होगा. अगर बाहर से प्याज़ मंगवाएंगे तो वह भी 30-35 रुपए प्रति किलो पड़ेगा, इसके बाद उसके ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी आएगा तो दाम उतने ही हो जाएंगे जितने मंडियों में चल रहे हैं.”

जयदत्ता यहां तक कहते हैं कि सरकार की तरफ से प्याज़ की लागत के संबंध में जो आंकड़ें जारी किए जा रहे हैं, वह फ़ेक होते हैं.

सरकार में नीति की कमी

प्याज़ के दामों को काबू में करने के लिए सरकार की तरफ से भी कई कोशिशें हुई लेकिन यह नाकाफी साबित हो रही हैं. सरकार ने पिछले हफ़्ते प्याज़ का न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी 850 डॉलर प्रति टन तय किया था.

जयदत्ता होलकर कहते हैं, ”सरकारी एजेंसी नैफेड ने प्याज़ को सस्ते दामों पर खरीदकर स्टोर में रखा है. उन्हें उस प्याज़ को बाज़ार में उतारना चाहिए. इससे कीमतों पर कुछ असर ज़रूर पड़ेगा.”

वहीं जयदत्ता होलकर बताते हैं कि सरकार के पास प्याज़ की कीमतों से जुड़ी कभी कोई उचित नीति नहीं रही, जिसका असर प्याज़ किसानों और उपभोक्ताओं दोनों पर पड़ता है.

इसी तरह की बात सुरेंद्र बुद्धिराजा भी कहते हैं. उनका कहना है, ”सरकार ने कभी भी प्याज़ की कीमतों पर ध्यान नहीं दिया. जब कभी इसकी कीमत 3 या 4 रुपए पहुंच जाती है, तो किसान आंदोलन करते हैं. लेकिन सरकार इस ओर ध्यान ही नहीं देती.”

जयदत्ता होलकर कहते हैं, ”किसान कभी नहीं चाहता कि दाम बहुत नीचे या ऊपर हो जाएं. किसान हमेशा चाहता है कि उसकी फ़सल के दाम तय कर दिए जाएं और अगर वह उस तय कीमत से ऊपर नीचे होते हैं तो सरकार उसमें हस्तक्षेप करे.”

लगभग हर तरह की सब्ज़ी में पड़ने वाले प्याज़ ने अपनी कीमतें ऊंची कर खाने का ज़ायका थोड़ा बिगाड़ ज़रूर दिया है.

कुल मिलाकर कुछ ही दिनों में भारत में त्योहारों का मौसम शुरू होने वाला है और में प्याज़ के दामों का बढ़ना. एक मध्यमवर्गीय परिवार के घरेलू बजट के लिए चिंता का सबब हो सकता है.