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छत्तीसगढ़ में डेढ़ साल से अटका है आयुष दवाओं का टेंडर

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 डेढ़ साल से आयुष दवाओं के टेंडर की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। वैसे इसकी खरीदी के लिए अलग-अलग वेरायटी की आयुष दवाओं के टेंडर को फाइनल करने के लिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन (सीजीएमसी) ने प्रक्रिया आगे बढ़ाई थी, लेकिन एक ही फर्म के आगे आने पर नियम और शर्तों के चलते मामला अटका पड़ा है।

ऐसे में शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के अस्पताल के अलावा प्रदेश के अन्य आयुष के अस्पतालों में जरूरी दवाओं की कमी हो गई है। ऐसे में अस्पतालों में आने वाले मरीजों को बाहर से दवाएं लेनी पड़ती हैं। आयुष कंपनियों से निर्मित एक हजार प्रकार की दवाएं आयुर्वेदिक अस्पतालों में पहुंचाने का प्रावधान है, लेकिन सिर्फ देखा जाए तो आयुष के अस्पतालों में महज 20 प्रकार की ही आयुर्वेदिक दवाएं मौजूद हैं।

उदाहरण के तौर राजधानी के शासकीय आयुर्वेद अस्पताल में सामान्य बीमारियों के अलावा पंचकर्म तक के दवाएं नहीं हैं। यहां के डॉक्टर मरीजों को बाहर मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने की भी सलाह देते हैं।

वहीं चौंकाने वाला तथ्य है यह कि जिन दवाओं की यहां आपूर्ति की जाती है, उनकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगा है यानी अधिकांश ऐसी वेरायटी की दवाएं हैं, जिनकी आपूर्ति करने वाली कंपनियां खुद के घाटे को पूरा करने के लिए दवाओं की गुणवत्ता से समझौता कर लेती हैं। वैसे पूर्व में भी दवाओं की आपूर्ति के प्रकरण में कई घोटाले भी सामने आ चुके हैं। विभागीय जानकारी के मुताबिक करीब 350 से अधिक आयुष दवाओं की आपूर्ति पिछले साल से ही बंद हैं।

आयुर्वेदिक शासकीय अस्पताल में 20 वेरायटी

आयुर्वेदिक अस्पताल में 1000 प्रकार की दवाएं पहुंचती हैं, जो कई बीमारी के इलाज में कारगर साबित होती हैं, मगर अभी यहां केवल 20 प्रकार की दवाएं मौजूद हैं। आयुर्वेद में काढ़ा की अधिक उपयोगिता मानी जाती है, मगर यहां केवल चूर्णयुक्त दवा ही है। दवाओं में सितोपलादी, त्रिकूट, अर्जुन चूर्ण, अष्टांग लवण, दाडिमांक, त्रिफला, रास्ना सप्तक, दशमूल, मैंसूफोर्ट, टंकण क्षार, लवंग, शतावरी, अमलकी समेत करीबन 20 प्रकार के औषधि रखी गई हैं।

सब रोगों में काम करने वाली ही औषधि देते हैं

दवाओं के नाम पर ऐसी भी शिकायत है कि शासकीय आयुर्वेद अस्पताल में प्रमुख रोग की दवाएं तो मौजूद नहीं है। लेकिन मरीज की दिलासा के खातिर जो स्वास्थ्य वर्धन जैसी दवाएं, जिसमें पेट साफ के सामान्य दवाओं को अस्पताल के औषधि केंद्र से लेने के लिए लिख देते हैं। बाकी अन्य दवाओं को बहार से लेने की सहाल दी जाती है। इसमें डॉक्टरों की भी मजबूरी हैं, जो दवाएं यहां नहीं हैं। उन्हें बाहर से लेने के लिए कहना पड़ता है।

इधर सीजीएमसी का दावा टेंडर प्रक्रिया दस दिन में फाइनल हो जाएगा

इधर, सीजीएमसी के एमडी भुवनेश यादव का दावा है कि 20 से अधिक टेंडर की प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जाएगी। इनके फाइनल नहीं होने के पीछे कारण था कि सिर्फ एक ही कंपनी टेंडर में शामिल हुई थी। इस वजह से पूरा नहीं हो पा रहा था।