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छत्तीसगढ़ में 82 फीसदी आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका

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 छत्तीसगढ़ में सरकार ने जातिगत आरक्षण के दायरे में बदलाव किया है। इससे आरक्षण की सीमा 82 फीसद पहुंच गई है। पिछले सप्ताह ही सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी की है। इसके साथ ही इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देने का दौर शुरू हो गया है। आरक्षण में की गई वृद्धि का चुनौती देते हुए एक वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ता ने आरक्षण को असंतुलित बताते हुए इसे चुनौती दी है।

बिलासपुर के सिविल लाइन क्षेत्र के राजेंद्र नगर निवासी अधिवक्ता आदित्य तिवारी पिता आनंद कंद तिवारी (28) ने आरक्षण के खिलाफ में हाईकोर्ट में पहली याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि आरक्षण को प्रदेश के विकास के लिए असंतुलित है।

वहीं इससे अनारक्षित वर्ग को भारी नुकसान होने के साथ ही इस वर्ग के नवयुवकों की पढ़ाई से लेकर शासकीय नौकरी के सभी रास्ते बंद हो जाएंगे। 82 फीसदी आरक्षण लागू होने के बाद अनारक्षित वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

मालूम हो कि प्रदेश में 82 फीसदी आरक्षण लागू करने के सरकार के निर्णय का विरोध चल रहा है। सवर्णों ने इसके खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया और आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने की मांग की। इसके साथ ही सोशल मीडिया में भी बहस छिड़ गई है। इसी के साथ अब आरक्षण के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी भी शुरू हो गई है।

15 अगस्त को की थी घोषणा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त को राज्य में लागू जाति आरक्षण में बदलाव की घोषणा की थी। इसमें एससी वर्ग का आरक्षण 12 से बढ़ाकर 13 और ओबीसी का 14 से बढ़ाकर 27 फीसद करने की घोषणा की थी। एसटी के 32 फीसद आरक्षण में कोई बदलाव नहीं किया। सरकार ने पिछले सप्ताह इसकी अधिसूचना जारी करते हुए इसमें 10 फीसद आर्थिक आधार पर आरक्षण जोड़ दिया है।