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दो केंद्रशासित प्रदेशों में एक दशक में 56 फीसदी बढ़ी आबादी, नगालैंड में 0.58 फीसदी की गिरावट

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनसंख्या विस्फोट पर नियंत्रण की सलाह के बाद देश भर में जनसंख्या नियंत्रण पर चर्चा हो रही है. धीरे-धीरे देश में जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आयी है, लेकिन अब भी यह रफ्तार उतनी कम नहीं हुई है, जितनी होनी चाहिए. हालांकि, पिछले दशक (2001-2011) में नगालैंड में नकारात्मक वृद्धि देखी गयी. वर्ष 1991-2001 के दशक में भारत की आबादी 21.54 फीसदी बढ़ी थी, जो इसके बाद के दशक यानी 2001-2011 के दौरान 17.72 फीसदी रह गयी. इसी दौरान केंद्रशासित प्रदेशों दमन एवं दीव में यह आंकड़ा क्रमश: 53.76 फीसदी और 55.73 फीसदी रहा. वहीं, दादरा एवं नगर हवेली में जनसंख्या वृद्धि 1991-2001 के दशक में 59.22 फीसदी रही, जबकि 2001 से 2011 के दशक में 55.88 फीसदी. 

ऐसा नहीं है कि केंद्रशासित प्रदेशों में ही आबादी तेजी से बढ़ी. अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में वर्ष 2001 से 2011 के बीच मात्र 6.86 फीसदी की दर से आबादी बढ़ी, जबकि इसके पिछले दशक यानी 1991-2001 के बीच यह दर 26.90 फीसदी थी. इसी तरह, लक्षद्वीप में आबादी बढ़ने की रफ्तार क्रमश: 6.30 फीसदी और 17.30 फीसदी रही. भारत की आबादी वर्ष 2001-2011 के दौरान 17.72 फीसदी रही, जो 1991-2001 के दौरान 21.54 फीसदी से 3.82 फीसदी कम रही. चंडीगढ़ में 1991-2001 के बीच 40.28 फीसदी आबादी बढ़ी, जो 2001-2011 के दौरान घटकर 17.19 फीसदी रह गयी.

जनसंख्या नियंत्रण के मामले में नगालैंड ने सबसे शानदार उपलब्धि हासिल की. यहां 1991-2001 के दशक में आबादी 64.53 फीसदी बढ़ी थी, जो 2001-2011 के दौरान घटकर नकारात्मक -0.58 फीसदी (शून्य से नीचे) हो गयी. यानी जनसंख्या वृद्धि में 65 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आयी. केरल लगातार दो दशक तक जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में 35 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में नगालैंड के बाद दूसरे स्थान पर रहा. यहां 1991 से 2001 के बीच 9.43 फीसदी आबादी बढ़ी, जबकि 2001 से 2011 के दौरान मात्र 4.91 फीसदी. केंद्रशासित प्रदेश अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह ने भी जनसंख्या विस्फोट रोकने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की. यहां 2001 से 2011 के दौरान 6.86 फीसदी आबादी बढ़ी, जो पिछले एक दशक की तुलना में 20.04 फीसदी कम रही.

इन प्रदेशों में जनसंख्या वृद्धि दर बढ़ी

केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी, मणिपुर, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु में जनसंख्या वृद्धि 1991-2001 की तुलना में 2001-2011 में ज्यादा रही. पुडुचेरी में 1991-2001 के दौरान आबादी 20,62 फीसदी बढ़ी, जबकि 2001-2011 के दौरान यह 28.08 फीसदी बढ़ी. इसी तरह, मणिपुर की आबादी 1991-2011 की तुलना में 6.94 फीसदी बढ़ गयी. छत्तीसगढ़ में भी जनसंख्या वृद्धि में तेजी देखी गयी. 1991-2001 के दौरान यहां जनसंख्या 18.27 फीसदी बढ़ी, जबकि 2001-2011 के दौरान 22.61 फीसदी आबादी बढ़ी. इसी तरह, तमिलनाडु की आबादी में भी 2001-2011 के दशक में तेजी से वृद्धि दर्ज की गयी. 1991-2001 के दौरान यहां जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार 11.72 फीसदी थी, जो बढ़कर 15.61 फीसदी हो गयी. यह पिछले दशक की तुलना में 3.89 फीसदी अधिक रही.

झारखंड, बिहार और बंगाल में जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण

झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गयी. झारखंड में 1991-2001 के दौरान 23.36 फीसदी आबादी बढ़ी, जबकि 2001-2011 के बीच यह घटकर 22.42 फीसदी रह गयी. बिहार में 28.43 फीसदी से घटकर 25.42 फीसदी रह गयी, जबकि पश्चिम बंगाल में 17.77 फीसदी से घटकर 13.84 फीसदी पर आ गयी. हिमाचल प्रदेश में 2001-2011 के दौरान 12.94 फीसदी की रफ्तार से आबादी बढ़ी, जबकि सिक्किम में 12.89 फीसदी, ओड़िशा में 14.05 फीसदी, आंध्रप्रदेश में 10.98 फीसदी, गोवा में 8.23 फीसदी, केरल में 4.91 फीसदी, तमिलनाडु में 15.61 फीसदी, महाराष्ट्र में 15.99 फीसदी और कर्नाटक में 15.60 फीसदी जनसंख्या बढ़ी.

हाल ही में राज्य का दर्जा गंवाने वाले और केंद्रशासित प्रदेश बनने वाले जम्मू-कश्मीर (जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख संयुक्त रूप से) की आबादी 2001-2011 के दौरान 23.64 फीसदी बढ़ी, जबकि पिछले दशक (1991-2001) में यह 29.43 फीसदी बढ़ी थी. 25 फीसदी से अधिक की दर से जिन राज्यों की आबादी 2001-2011 के दशक में बढ़ी, उनमें बिहार के अलावा अरुणाचल प्रदेश (26.03 फीसदी), मणिपुर (31.80 फीसदी) और मेघालय (27.95 फीसदी) शामिल हैं.