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एक महिला डॉक्टर जिसके सामने न किसी सरकार की चलती है न अफसर की..

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तिनियुक्ति कार्यकाल खत्म होने के बाद भी मैडम 07 सालों से छत्तीसगढ़ में जमी हैं. उन्हें वापस भेजने के लिए कई फाइलें चलीं मगर अपनी पहुंच और संपर्कों के जरिए वे मंत्री से लेकर आइएएसों तक को ठेंगा दिखा रही हैं. अब डॉ. सुनीता जैन की सेवाएं गुपचुप तरीके से छत्तीसगढ़ में संविलियन की तैयारी चल रही है.

जानते चलिए कि डॉ. सुनीता जैन, मध्यप्रदेश के बालाघाट में स्थित पीजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं. 2013 में वे प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ चली आईं. भाजपा सरकार में अपनी पहुंच और संपर्कों का इस्तेमाल कर स्कूल शिक्षा विभाग के उपक्रम राजीव गांधी शिक्षा मिशन में उप संचालक बन गईं.

सरकार के मंत्रियों और कुछ अफसरों का संरक्षण उन्हें इस कदर हासिल हुआ कि कम समय में ही उन्हें मलाईदार विभाग मिलते चले गये. राजीव गांधी शिक्षा मिशन में काम करने के बाद डॉ.सुनीता जैन बतौर उपसंचालक, लोक शिक्षण संचालनालय आ गईं और कुछ समय बाद ही उन्हें एससीईआरडी यानि राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण में एडिशनल डायरेक्टर बना दिया गया.

एससीईआरटी द्वारा उनकी सेवाओं की वापसी के लिए अभी हाल ही में दो बार शासन को पत्र भी लिखा गया किंतु शासन स्तर पर इनकी मजबूत पकड़ होने से ये यहीं पर काबिज हैं.

आश्चर्य यह कि मैडम की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के विपरीत हुई. इसकी पुष्टि पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलसचिव द्वारा जारी एक आदेश से होती है जिसमें उन्होंने साफ किया है कि असिस्टेंट प्रोफेसर को सिर्फ सहायक संचालक पद पर ही नियुक्ति किया जा सकता है लेकिन मैडम जैन एडिशनल डायरेक्टर पद तक पहुंच गई हैं.

सूत्रों के मुताबिक मैडम जैन की प्रतिनियुक्ति महज एक साल के लिए थी जो 2014 में खत्म हो गई थी. आश्चर्य कि अधिकतम चार साल का कार्यकाल भी उन्होंने पूरा कर लिया है. फिर भी वे लगभग सात सालों से छत्तीसगढ़ में टिकी हुई हैं.

उनकी वापसी के लिए दो बार पत्र भी लिखा गया. असिस्टेंण्ट प्रोफेसर राम किशोर साहू ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को एक पत्र 26 अगस्त 2017 को लिखते हुए मांग की थी कि मैडम जैन को वापस उनके मूल विभाग में भेजा जाए परंतु यह कवायद भी ठण्डे बस्ते में पड़ गई.

बताया जाता है कि मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी नियुक्ति को खत्म कर दिया है लेकिन छत्तीसगढ़ में डॉ.सुनीता जैन जमी हुई हैं और ठप्पे के साथ नौकरी कर रही हैं. उनकी प्रतिनियुक्ति का कार्यकाल भी खत्म हो चुका है और उनकी पदोन्नति भी नियम विरूदध है. इसके बावजूद सरकार या विभाग कोई कार्रवाई नही कर पा रहा है.

अपने विभाग में मैडम का इस कदर दबदबा है कि वे अपने उपर के अधिकारियों को डमी समझती हैं. यही दर्द कई आइएएसों ने भी जताया. भाजपा सरकार जाने के बाद उम्मीद थी कि कांग्रेस सरकार में ऐसे अफसर नपेंगे लेकिन मैडम जैन का जलवा रायपुर से नईदिल्ली तक बरकरार है.

सुना है कि उन्होंने अपने नये विभागीय मंत्री और सचिव को भी झांसे में ले रखा है.अपने उंचे रसूख और रूतबे के कारण एससीईआरटी में इनसे वरिष्ठ तीन संयुक्त संचालक, पांच उप संचालक इनके अधीन काम करने और इनकी खरीखोटी सुनने को मजबूर हैं.

मैडम यह भी कहती फिरती हैं कि आइएएस संचालक तो यहां डमी हैं दरअसल सारा काम मुझे ही देखना है इसलिए आपको मेरी बात सुननी पड़ेगी. यानि एक आइएएस ने भी इनकी पहुंच और प्रतिभा के सामने अपने घुटने टेक दिए हैं.