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सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा, इन दो तरह से हो सकते हैं ट्रेस कई हजार मोबाइलों के बदले ‘आईएमईआई नंबर’..

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चोरी और लूट के सात हजार मोबाइल फोन सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा बन सकते हैं। ये वो मोबाइल फोन हैं, जिनके दो साल में आईएमईआई नंबर बदले जा चुके हैं। इस मामले में पुलिस अधिकारी और साइबर सेल के एक्सपर्ट इस गिरोह के नेटवर्क को खंगालने में जुट गए हैं। मेरठ पुलिस ने मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर बदलने वाले गिरोह का रविवार को पर्दाफाश कर आठ आरोपी पकडे़ थे। पुलिस अफसरों की जांच में सामने आया कि दिल्ली एनसीआर समेत दूसरे राज्यों के मोबाइल फोन पैक होकर हापुड़ अड्डा स्थित सूर्या प्लाजा मार्केट में आते थे। चोरी और लूट इन मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर बदले जाते थे और वापस पैक करके भेज दिए जाते थे। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे करीब दो साल में चोरी और लूट के सात हजार से ज्यादा मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर बदले जा चुके हैं।

मोबाइल दो तरह से ट्रेस
साइबर सेल के एक्सपर्ट कर्मवीर सिंह का कहना है कि मोबाइल दो प्रकार से ट्रेस किया जा सकता है। एक तो मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर से और दूसरा मेक आईडी से। मेक आईडी डिवाइस की परमानेंट आईडी होती है। यह मदर बोर्ड में होती है। मदर बोर्ड चेंज करने पर ही यह चेंज होती है। मेक आईडी यानी मीडिया एक्सेस कंट्रोल से पता चल सकता है। मोबाइल में सबसे कीमती उपकरण मदर बोर्ड ही है। जिन मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर बदले गए हैं उन्हें ट्रेस करना आसान नहीं होता। इन मोबाइल फोन से ज्यादातर इंटरनेट कॉल की जाती हैं। पुलिस मोबाइल कंपनी की मदद से मेक आईडी से ही ऐसे मोबाइल को ट्रेस कर सकती है। जो लोग इस तरह के मोबाइल खरीदते हैं उन्हें पता नहीं होता कि इसका आईएमईआई नंबर बदला हुआ है। मोबाइल में प्रयोग किए जा रहे सिमकार्ड से मोबाइल की लोकेशन तक पहुंचा जा सकता है।

टेलीकॉम कंपनी कर रही हैं काम
एसपी देहात अविनाश पांडेय का कहना है कि दूरसंचार मंत्रालय अगले वर्ष से इस पर काम करने जा रहा है। सॉफ्टवेयर में ऐसा सिस्टम रहेगा जिससे कोई भी एक्सपर्ट मोबाइल रूट फंक्शन में छेड़छाड़ नहीं कर सकता। यदि आईएमईआई नंबर बदला है तो टेलीकॉम कंपनी को मैसेज पहुंच जाएगा और वह मोबाइल फोन भी ब्लॉक हो जाएगा।

पकड़ा जा चुका है फर्जी एक्सचेंज
गंगानगर में 16 जनवरी 2015 को पुलिस व साइबर सेल ने बीएसएनल के फर्जी एक्सचेंज का भंडाफोड़ किया था। मौके से बीएसएनएल के 64 सिम, राउटर वाई-फाई और जेएस मॉडम व उपकरण बरामद कर विकास, मामचंद, वसीम, सिकंदर, उस्मान और निशांत जेल भेजे थे। देवबंद निवासी छात्र वसीम की आईडी पर यह मकान किराए पर लिया था। जिसे गंगानगर में साइबर कैफे चलाने वाले विकास ने दिलाया था। इसमें बीएसएनएल देवबंद टेलीफोन एक्सचेंज के दो अस्थायी कर्मचारी भी जुड़े थे।

फर्जी एक्सचेंज चलाने के गैंग का सरगना और मुख्य आरोपी हर्ष अग्रवाल उर्फ हैप्पी उर्फ जैक उर्फ हरीश कुमार पुत्र शंकरलाल निवासी मलक पैंठ हैदराबाद है। जिसकी पुलिस ने संपत्ति भी कुर्क की थी। जांच में सामने आया था कि बीएसएनएल के इस फर्जी एक्सचेंज से देश-विदेश में करीब 84 हजार इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल्स की गई थीं। सरकार को इनकमिंग कॉल के हिसाब से टैक्स मिलता है। मुख्य आरोपी ने अवैध रूप से वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) सेटअप लगाया था। जिसमें देवबंद से फर्जी आईडी पर लिए बीएसएनएल के 64 सिमों का प्रयोग हुआ था। इस फर्जी एक्सचेंज से विदेशी कॉल के मिनट बेचकर सरकार को 3.56 करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया था। हालांकि आरोपी अभी तक पकड़ा नहीं जा सका।