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छत्तीसगढ़/सीएम बघेल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन का किया आग्रह

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों के निवासियों के जीवन स्तर में सुधार और खुशहाली लाने के उद्देश्य से इन क्षेत्रों में लघु वनोपज प्रसंस्करण, कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित ऐसे सूक्ष्म एवं लघु औद्योगिक इकाइयों, जिनमें किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता हो, की स्थापना के लिए वन संरक्षण अधिनियम में आवश्यक संशोधन करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने ऐसे कार्यों को वानिकी गतिविधियों में शामिल करने का आग्रह करते हुए कहा है कि इससे वन क्षेत्रों में ऐसे प्रसंस्करण उद्योगों की बड़ी संख्या में स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वन क्षेत्रों के निवासियों को  निर्बाध विद्युत आपूर्ति’ सुनिश्चित करना अत्यंत कठिन कार्य है। बिना ऊर्जा के किसी भी समुदाय की आर्थिक प्रगति संभव नहीं है। इस समस्या के निराकरण के लिए यह आवश्यक है कि वन क्षेत्रों में एक से 5 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्र परियोजनाओं की स्थापना हेतु अनुमति प्रदान की जाए। इसके लिए  नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वन-क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त विद्युत आपूर्ति हेतु विशेष कार्ययोजना तैयार की जाए। उन्होंने इसके लिए भी ‘वन संरक्षण अधिनियम’ के प्रावधानों में संशोधन करने तथा सौर ऊर्जा परियोजनाओं को ‘हरित गतिविधि’ मान्य करने का आग्रह किया है। 
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य के कुल भू-भाग का 44 प्रतिशत भाग वनों से आच्छादित है। छत्तीसगढ़ को ‘हरित प्रदेश’ अथवा सम्पूर्ण देश को शुद्ध वायु आपूर्ति करने वाले राज्य होने का गौरव प्राप्त है। लेकिन वनों के आधिक्य के कारण वन क्षेत्रों के निवासियों का जीवन अत्यंत कठिन है।  इन क्षेत्रों में ‘वन अधिनियम’ एवं ‘वन संरक्षण अधिनियम’ के कड़े प्रावधानों के कारण कृषि, व्यापार, उद्योग, सेवा क्षेत्र, संचार एवं परिवहन गतिविधियों का प्रसार अत्यंत सीमित है। इससे वन क्षेत्रों के निवासियों की आय में वृद्धि, गरीबी में कमी एवं जीवन स्तर में वृद्धि एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य बन चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य के चिन्हांकित 10 आकांक्षी जिलों में से 9 जिलों के अधिकांश भागों में वन हैं। वन क्षेत्रों के निवासियों के जीवन में खुशहाली लाना राज्य सरकार का नैतिक दायित्व है, लेकिन इसमें केन्द्र सरकार का पूर्ण  सहयोग भी अत्यंत आवश्यक है।