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वीडियो गेम की लत को जल्द ही बीमारी घोषित करेगा WHO

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अगर आप भी हर समय वीडियो गेम खेलते रहते हैं तो यह खबर आपको परेशान कर सकती है. दरअसल, वीडियो गेम की लत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बीमारी की श्रेणी में डालने का फैसला किया है. बहुत जल्द इसे नशीली दवाओं और शराब की लत की तरह ही आधिकारिक रूप से बीमारी घोषित कर दिया जाएगा. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक गेम के प्रति बढ़ी दिवानगी ‘गेमिंग डिसऑर्डर’की निशानी है.

डब्ल्यूएचओ ने पिछले साल 11वें इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज कार्यक्रम में वीडियो गेम की लत को एक बीमारी का दर्जा देने का निर्णय किया था. गेमिंग डिसऑर्डर से परेशान लोग रोज के कामकाज से ज्यादा गेम को तवज्जो देते हैं. मोबाइल पर या फिर टीवी पर ये लोग हर वक्त गेम खेलते हैं. कई गेम को ऐसे भी हैं जिनके कारण कई लोगों की जानें तक जा चुकी हैं. हालांकि वीडियो गेम की लत को बीमारी की श्रेणी में रखने के डब्ल्यूएचओ के फैसले की गैर-लाभकारी इंटरनेशनल गेम डेवलपर्स एसोसिएशन ने निंदा की है.

डब्ल्यूएसओ ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि अगर कोई व्यक्ति अपने सभी काम पूरे करने के बाद गेम खेल रहा है तो उसे बीमार नहीं माना जाएगा. डॉक्टर्स का कहना है कि इस बीमारी से ज्यादातर बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. स्कूल से आने के बाद ज्यादातर बच्चे मोबाइल पर गेम खेलते हैं. घर से बाहर नहीं निकलने के कारण उनका ज्यादातर समय घर के अंदर ही बीतता है और उनके पास मोबाइल गेम का ही एक सहारा होता है.

गेमिंग डिसॉर्डर के लक्षण
1- इस बीमारी की चपेट में आने वाला व्यक्ति हर वक्त वीडियो गेम खेलना चाहता है. उसके दिमाग में केवल वीडियो गेम ही चलता रहता है. इसे प्रीऑक्यूपेशन कहते हैं.

2- अगर आप अपने ऊपर नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं और वीडियो गेम खेलने की चेन को ब्रेक नहीं कर पा रहे हैं तो समझिए आप बीमार हैं.

3- वीडियो गेम खेलने के कारण ऑफिस पहुंचने में देरी, नींद आने पर भी खेल के बारे में ही सपने आना, आए दिन बीमार रहना और जरूरी काम छूट जाना. इस बीमारी के लक्षण हैं.