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जहां से राहुल गांधी लड़ रहे लोकसभा चुनाव वह वायनाड है खूबसूरत हनीमून डेस्टिनेशन

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार अमेठी के अलावा केरल की वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. गुरुवार को उन्होंने वायनाड सीट से नामांकन भी दाखिल कर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी वायनाड लोकसभा सीट पर ऐसे ही नहीं गए हैं बल्कि ‘गांधी परिवार’ का यहां से भावनात्मक रिश्ता रहा है. राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर दादी इंदिरा गांधी तक का यहां से गहरा लगाव रहा है. इसी के नाते राहुल ने वायनाड को चुना. आइए जानते हैं वायनाड सीट के बारे में…

 वायनाड केरल की एक खूबसरत जगहों में से एक है. यह एक ट्रेवेल डेस्टिनेशन, हनीमून डेस्टिनेशन के तौर पर बेहद मशहूर है. यह केरल के टॉप 5 डेस्टिनेशन्स में से भी एक है.

वायनाड केरल की एक खूबसरत जगहों में से एक है. यह एक ट्रेवेल डेस्टिनेशन, हनीमून डेस्टिनेशन के तौर पर बेहद मशहूर है. यह केरल के टॉप 5 डेस्टिनेशन्स में से भी एक है.

 असल में राहुल गांधी के चुनाव लड़ने के ऐलान या सुगबुगाहट से पहले तक वायनाड की पहचान एक पर्यटन स्‍‌‌थल की थी. पहले किसी शख्‍सियत से या गूगल से पूछते कि वायनाड क्या है तो आपको यही जानकारी मिलती है कि यह एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्‍थल है.

असल में राहुल गांधी के चुनाव लड़ने के ऐलान या सुगबुगाहट से पहले तक वायनाड की पहचान एक पर्यटन स्‍‌‌थल की थी. पहले किसी शख्‍सियत से या गूगल से पूछते कि वायनाड क्या है तो आपको यही जानकारी मिलती है कि यह एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्‍थल है.

 वायनाड के बारे में वहां के पौधों, जंगलों और वन्यजीव की चर्चा होती रही है. वहां चेम्बरा पीक के शिखर तक ट्रैकिंग, एडक्कल गुफाएं, नियोलिथिक और मेसोलिथिक युग की सी नक्काशियां की चर्चाएं रही हैं.

वायनाड के बारे में वहां के पौधों, जंगलों और वन्यजीव की चर्चा होती रही है. वहां चेम्बरा पीक के शिखर तक ट्रैकिंग, एडक्कल गुफाएं, नियोलिथिक और मेसोलिथिक युग की सी नक्काशियां की चर्चाएं रही हैं.

 इसके अलावा मसालों, तरह-तरह के तेलों, चॉकलेट, नारियल फाइबर और हस्तशिल्प की खरीदारी के लिए भी इस जगह को जाना जाता है.

इसके अलावा मसालों, तरह-तरह के तेलों, चॉकलेट, नारियल फाइबर और हस्तशिल्प की खरीदारी के लिए भी इस जगह को जाना जाता है.

 केरल टूरिज्म के अनुसार चेम्बरा पीक 2100 मीटर की ऊंचाई पर है. यहां चढ़ाई के दौरान पूरा वायनाड दिखाई देता है. चोटी तक पहुंचते-पहुंचते यहां एक विहंगम दृश्य दिखता है.

केरल टूरिज्म के अनुसार चेम्बरा पीक 2100 मीटर की ऊंचाई पर है. यहां चढ़ाई के दौरान पूरा वायनाड दिखाई देता है. चोटी तक पहुंचते-पहुंचते यहां एक विहंगम दृश्य दिखता है.

 इसके अलावा वायनाड के दक्षिणपूर्वी हिस्से में नीलिमला है. यहां से मीनमुट्टी जलप्रपात का दृश्य बहुत ही शानदार दिखाई देती है.

इसके अलावा वायनाड के दक्षिणपूर्वी हिस्से में नीलिमला है. यहां से मीनमुट्टी जलप्रपात का दृश्य बहुत ही शानदार दिखाई देती है.

 इसके अलावा मीनमुट्टी जलप्रपात, चेतलयम, पक्षीपातालम, ब्रह्मगिरी की पहाड़ियां आदि बेहद महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावा बाणासुरा सागर बांध बेहद महत्वपूर्ण है.

इसके अलावा मीनमुट्टी जलप्रपात, चेतलयम, पक्षीपातालम, ब्रह्मगिरी की पहाड़ियां आदि बेहद महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावा बाणासुरा सागर बांध बेहद महत्वपूर्ण है.

 इसके अलावा वहां मसाले, कॉफ़ी, चाय, बांस की वस्तुएँ, शहद और जड़ी-बूटी के पौधे आदि हैं. हालांकि यहां पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन कोझिकोड (कालीकट) है्, जो कि क्षेत्र से करीब 62 किमी दूर है. जबकि नजदीकी एयरपोर्ट, कोझिकोड (कालीकट) अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट लगभग 65 किमी दूर है.

इसके अलावा वहां मसाले, कॉफ़ी, चाय, बांस की वस्तुएँ, शहद और जड़ी-बूटी के पौधे आदि हैं. हालांकि यहां पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन कोझिकोड (कालीकट) है्, जो कि क्षेत्र से करीब 62 किमी दूर है. जबकि नजदीकी एयरपोर्ट, कोझिकोड (कालीकट) अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट लगभग 65 किमी दूर है.

 अब राहुल गांधी ने इस सीट को चुनाव लड़ने के लिए चुना है तो इसकी राजनैतिक इतिहास भी देखना होगा. वर्तमान में यह सीट कांग्रेस के पास ही है. यहां के सांसद एमआई शनवास हैं. उन्होंने पिछले चुनाव में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार सत्यन मोकरी को 356,165 की तुलना में 377,035 वोट पाकर जीत दर्ज की थी.

अब राहुल गांधी ने इस सीट को चुनाव लड़ने के लिए चुना है तो इसकी राजनैतिक इतिहास भी देखना होगा. वर्तमान में यह सीट कांग्रेस के पास ही है. यहां के सांसद एमआई शनवास हैं. उन्होंने पिछले चुनाव में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार सत्यन मोकरी को 356,165 की तुलना में 377,035 वोट पाकर जीत दर्ज की थी.

 इसके अलावा जानने वाली बात यह है कि यह सीट साल 2009 में ही परीसीमन के दौरान अलग हुई थी तब से यहां कांग्रेस उम्मीदवार शनवास ही जीतते आ रहे हैं.

इसके अलावा जानने वाली बात यह है कि यह सीट साल 2009 में ही परीसीमन के दौरान अलग हुई थी तब से यहां कांग्रेस उम्मीदवार शनवास ही जीतते आ रहे हैं.