रायपुर- नक्सलियों के शांति वार्ता के पत्र का उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों ने शांति वार्ता के लिए अपील की है, लेकिन वे पहल प्रारंभ करें। नक्सलियों ने किसी ‘समिति’ का जिक्र किया है तो वह समिति कौन-सी है, यह भी स्पष्ट करें।
प्रदेश सरकार ने शांति वार्ता के लिए किसी प्रकार की न तो कोई समिति गठित की है और न ही कोई प्रतिनिधि नियुक्त किया है। सरकार सीधे चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। अगर नक्सली किसी समिति के बारे में बताते हैं तो सरकार उनकी सुरक्षा की पूरी गारंटी लेने को तैयार है, वे चर्चा के लिए आएं।
सरकार प्रत्येक प्रश्न का समुचित हल प्रस्तुत करेगी। उन्होंने पत्र के संबंध में कहा कि नक्सली कह रहे हैं कि उन्हें शीर्ष नेतृत्व से चर्चा करना पड़ता है, स्थानीय स्तर से बात करनी पड़ती है, सरकार का स्पष्ट आग्रह है कि किसी और की प्रतीक्षा न करें।
आप अगर स्वयं चर्चा के लिए तैयार हैं, कोई एक व्यक्ति भी चर्चा के लिए तैयार है, कोई छोटा या बड़ा समूह भी चर्चा के लिए तैयार है, तो हम उसके साथ भी चर्चा के लिए तैयार हैं। सरकार विश्वास दिलाती है कि हम आपके लाइफ सेटल होने तक आपके साथ खड़े रहेंगे।
गुरुवार को अपने निवास कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा के दौरान शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार का बड़ा ही स्पष्ट भाव है कि बस्तर के गांवों तक विकास का मार्ग प्रशस्त हो। इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है, दृढ़ता के साथ इस काम को किया भी जाएगा।
पीड़ित व समर्पित नक्सलियों के लिए पुनर्वास नीति
नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नक्सलवादी आत्मसमर्पण-पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025 को औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया है। गृह विभाग की जारी अधिसूचना के अनुसार, इस नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में विशेष समितियों के गठन के निर्देश दिए हैं।
नक्सल हिंसा में पीड़ित हुए व्यक्तियों एवं परिवारों जैसे कि मृत्यु, घायल या स्थायी अपंगता के शिकार लोगों के साथ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास और राहत के उद्देश्य से यह नीति तैयार की गई है। इसके लिए प्रत्येक जिले में गठित होने वाली समिति में कलेक्टर अध्यक्ष होंगे, जबकि एसपी को सचिव की जिम्मेदारी दी गई है।
इसके अतिरिक्त वनमंडलाधिकारी, जिला पंचायत के सीईओ, कलेक्टर द्वारा दो अधिकारी व सशस्त्र बलों के प्रतिनिधियों को समिति में शामिल किया जाएगा। प्रत्येक जिले और सब-डिविजनल स्तर पर एक-एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।
पोर्टल में दर्ज होगी जानकारी: इसके लिए विशेष पोर्टल तैयार किया जा रहा है, जिसमें पीड़ित एवं आत्मसमर्पित की जानकारी दर्ज की जाएगी और उन्हें एक यूनिक आईडी प्रदान की जाएगी। पोर्टल के डेशबोर्ड का अवलोकन कर राहत एवं पुनर्वास के कार्यों का क्रियान्वयन करेंगे।