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प्रदेश कोटे से प्रियंका गांधी वाड्रा को राज्यसभा भेजने की मांग, इन दो नेताओं के लिए खड़ी हो जाएंगी मुश्किलें…

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प्रियंका गांधी वाड्रा को मध्य प्रदेश कोटे से राज्य सभा में भेजने की मांग के साथ ही मध्यप्रदेश में राज्यसभा की खाली होने वाली 3 सीटों के लिए दावेदारों के नाम की सुगबुगाहट तेज हो गई है । कांग्रेस की ओर से अभी राज्यसभा के लिए दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया दावेदार हैं। प्रियंका गांधी को राज्यसभा में भेजने के बाद दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा में भेजना कांग्रेस के लिए मुश्किल निर्णय हो सकता है। ऐसे में चर्चा है कांग्रेस के पास बेहतर विकल्प यह है कि वह एक सीट पर प्रियंका को राज्यसभा भेजे और सिंधिया और दिग्विजय सिंह में से किसी एक को दूसरे प्रदेश से राज्य सभा भेजे । पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और मुख्यमंत्री के लिए विधानसभा की सीट रिक्त करने वाले दीपक सक्सेना, पूर्व प्रदेश यादव के नामों की चर्चा भी गर्म है। हालांकि कांग्रेस का कहना है की इस बारे में निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेना है।

बीजेपी से इस सीट पर जहां प्रभात झा तीसरी पारी खेलने की तैयारी में हैं तो बाकी नेता नेताओं ने भी राज्यसभा सदस्य बनने के लिए जोड़-तोड़ शुरू कर दी है। पार्टी का एक बड़ा धड़ा इस तैयारी में है कि इस बार राज्यसभा में अनुसूचित जनजाति के नेताओं को भेजा जाए। विधानसभा की दलीय स्थिति के मुताबिक एक सीट भाजपा, एक कांग्रेस को मिलेगी, लेकिन तीसरी सीट के लिए घमासान होगा। राज्यसभा सदस्य के लिए भाजपा में कई दावेदार सक्रिय हो गए हैं।

फिलहाल मालवांचल से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस दौड़ में शामिल हैं। वहीं मालवांचल में आदिवासी सीटों में मिली हार की भरपाई करने के लिए पार्टी के नेता किसी आदिवासी को राज्यसभा भेजना चाहते हैं। महाकौशल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से पूर्व महाधिवक्ता रविनंदन सिंह का नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। विनोद गोंटिया भी कतार में हैं, वे एक बार राज्यसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। चंबल से अजा कोटे से लालसिंह आर्य को भी प्रबल दावेदार माना जा रहा है। हालांकि बीजेपी अभी नामों को लेकर कुछ कहना नहीं चाहती।

मध्यप्रदेश से 9 अप्रैल को राज्यसभा की तीन सीटें खाली होगी। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और भाजपा के प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल पूरा हो रहा है। वर्तमान में विधानसभा के संख्या बल के हिसाब से दो सीटें कांग्रेस और एक बीजेपी के पास जाने की उम्मीद है। राज्यसभा के लिए नामांकन की प्रक्रिया पांच मार्च से शुरू होगी।

विधानसभा की मौजूदा सदस्य संख्या के आंकड़ों से चुनाव में परिस्थितियां कांग्रेस के पक्ष में है। तीन राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में एक प्रत्याशी को जीत के लिए कम से कम 58 विधायकों के वोटों की जरूरत होगी। कांग्रेस के पास अभी 114 विधायक हैं, लेकिन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में एक निर्दलीय विधायक है। तीन निर्दलीय कांग्रेस विचारधारा के हैं और सरकार को समर्थन भी दे रहे हैं। इसी तरह बसपा के दो और सपा का एक विधायक भी कमलनाथ सरकार को समर्थन कर रहे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन है। वहीं, बीजेपी के 108 विधायक हैं। ऐसे में कांग्रेस के दो प्रत्याशियों की राज्यसभा चुनाव में जीत आसान है।