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याेगीराजः बाल्टीभर पानी में एक लीटर दूध मिलाकर 81 बच्चों का भरा पेट, वीडियो वायरल…

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 हाल ही में मिर्जापुर में मिड डे मील के नाम पर बच्चों को नमक-रोटी खिलाए जाने का मामला सामने आया था। इस शर्मनाक तस्वीर से योगी सरकार की पूरे देश में थू थू हुई थी। इसके बावजूद भी सरकार इस खबर से सचेत नहीं हुई। इस मामले के आरोपियों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई उल्टे खबर दिखाने पर सरकार ने रिपोर्टर पर ही मामला दर्ज करा दिया।

अब इसी तरह के एक और मामला सोनभद्र जिले से सामने आया है। जो न केवल प्रदेश में फैले भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रहा है बल्कि योगी सरकार की घोर नाकामी को भी दर्शा रही है।

पूरा मामला जिले के सलईबनवा प्राथमिक स्कूल का है। यहां सरकारी मानक के अनुसार मिड डे मील में बच्चों को एक-एक गिलास दूध दिया जाता है। लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि बच्चों को जो दूध दिया जा रहा है उसमें बड़ी मात्रा में पानी मिलाया गया है। दूध में इतनी पानी की मात्रा है कि देखने में ही आपको पता चल जाएगा की यह दूध नहीं पानी है। इसे पीने न पीने से कोई फर्क नहीं पड़ता। दूध में कितना पानी मिलाया गया है आप अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि एक लीटर दूध से ही प्राथमिक स्कूल के 81 बच्चों का पेट भर दिया जाता है।

बता दें कि मामला सोनभद्र के चोपन ब्लाक के कोटा ग्रामपंचायत के सलईबनवा प्राथमिक स्कूल में सामने आया है। यहां बच्चों को बुधवार के दिन के लिए तय भोजन के हिसाब से खिचड़ी और दूध दिया जाना था। हद तब हो गई जब यहां बच्चों को दूध देने से पहले एक लीटर दूध में एक बाल्टी पानी मिलाया गया और उसे 81 बच्चों को बांट दिया गया।

वहींइस मामले का वीडियो सामने आने के बाद अधिकारियों तक सूचना पहुंची। इस पर प्राथमिक स्कूल में दोबारा बच्चों को दूध बाँटा गया। वहीं, एबीएसए ने प्राथमिक स्कूल सलईबनवा पर पहुँचकर दोषी शिक्षामित्र को कार्य मुक्त कर दिया है। दूध में पानी मिलाने का वीडियो सामने आने पर शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया।

अकेला नहीं है मामला 
बता दें कि कुछ महीने पूर्व मिर्जापुर में भी मिड डे मील में प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को नमक और रोटी दिए जाने का मामला प्रकाश में आया था। अभी उसे बीते समय नहीं हुआ की सोनभद्र का 1 लीटर में 81 बच्चों को दूध देने का मामला सामने आ गया। इस पर स्कूल की रसोईया ने बताया कि उसे एक ही लीटर दूध उपलब्ध कराया गया था और उसने उसे एक बाल्टी पानी मिलाकर बच्चों को दे दिया। वहीं, दूसरी तरफ मौके पर जांच में पहुंचे एबीएसए ने बताया कि प्रथम दृष्टया तो गलती शिक्षामित्र की लगती है और उसे कार्य मुक्त कर दिया गया है।