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छत्‍तीसगढ़ का पहला जिला कवर्धा, जहां स्कूलों में अध्यापन से पहले गाया जाएगा राजकीय गीत

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कबीरधाम प्रदेश का पहला जिला बन गया हैं,जहां के सभी सरकारी स्कूलों में अध्यापन कार्य प्रारंभ होने से पहले स्कूली बधो राजकीय गीत अरपा पैरी के धार…गाएंगे। दरअसल इस जिले के बोड़ला ब्लॉक अंतर्गत खड़ौदा संकुल के ग्राम लोहझरी प्राथमिक स्कूल ने तीन दिन पहले मंगलवार से ‘अरपा पैरी के धार” को स्कूल के अध्यापन कार्य से पहले गाने की शुरुआत की थी। गुरुवार को इस स्कूल का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। देखते ही देखते जिले व राज्य के वीडियो को लोगों ने पसंद किया।

स्कूल के प्रधान पाठक मो. रोशन खान ने बताया कि राज्य उत्सव के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने इस गीत को राजकीय गीत घोषित किया था। इसे देखते हुए स्कूली बधाों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रति प्रभाव पड़ सके। इसे लेकर इस गीत को प्रतिदिन अध्यापन कार्य प्रारंभ होने से पहले गाया जाता है। वैसे पहले की तरह अध्यापन कार्य प्रारंभ होने से पहले सरस्वती वंदना, इसके बाद राष्ट्रगान फिर राजकीय गीत अरपा पैरी के धार को गाया जाता है। वहीं छुट्टी के समय राष्ट्रीय गीत वंदे को गाया जाता है। खास बात यह है कि इस राजकीय गीत को लेकर शाला विकास समिति से प्रस्ताव भी लिया हैं।

कलेक्टर, सभी स्कूलों के लिए आदेश

प्राथमिक स्कूल लोहझरी द्वारा किए गए इस पहल को लोगों ने काफी पसंद किया हैं। कलेक्टर अवनीश कुमार शरण भी बेहद प्रभावित हुए हैं। उन्होंने सभी स्कूलों में इस गीत के साथ अध्यापन कार्य प्रारंभ करने कहा है। लेकिन राष्ट्रगान जन गण मन अनिवार्य तौर पर प्रतिदिन गाने के निर्देश भी दिए हैं। यहीं कारण है कि कबीरधाम जिला प्रदेश का पहला जिला बन गया है, जहां के सरकारी स्कूलों में अरपा पैरी के धार को अनिवार्य किया गया हैं। गौरतलब हैं कि इसी माह राज्य उत्सव के समापन के दिन सीएम भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य के 19वीं वर्षगांठ में इस गीत को राजकीय गीत घोषित किया था। तब निर्देश दिया था कि सभी सरकारी कार्यक्रम की शुरूआत इसी गीत के साथ किया जाएगा। गुरुवार को भी सीएम सुकमा के दौरे में थे। तब वहां कार्यक्रम की शुरूआत इसी गीत के साथ किया गया था।

ये भी जानना जरुरी, इस गांव में बीते पांच वर्षों से मिडिल स्कूल भवन नहीं, इस कारण दो पाली में लगती है। कक्षा इस गांव में पहली से लेकर 8वीं तक की पढ़ाई की सुविधा है। प्राथमिक स्कूल में 87 व मिडिल स्कूल में करीब 66 बच्चे हैं। यहां बताना लाजमी है कि इस गांव में मिडिल स्कूल भवन नही हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2014 में मिडिल स्कूल भवन गिर गया। इसे डिसमेंटल किया गया। मिडिल स्कूल भवन नहीं होने के कारण प्राथमिक स्कूल भवन में मिडिल स्कूल की कक्षाएं लगाई जाती हैं। प्राथमिक की कक्षा सुबह 7.30 से 12 बजे तक व मिडिल स्कूल की कक्षा 12 बजे लगाई जाती हैं। हालांकि कई बार ग्रामीणों ने मिडिल स्कूल भवन की मांग भी कर चुके हैं। लेकिन अभी तक शासन द्वारा कोई निर्णय नही लिया गया हैं।

जिले के स्कूलों की संख्या

उधातर माध्यमिक विद्यालय – 76

उधा माध्यमिक विद्यालय – 70

पूर्व माध्यमिक विद्यालय – 490

प्राथमिक विद्यालय – 973

इन्हीं स्कूलों में राष्ट्रगान के बाद राजकीय गीत गाए जाएंगे।

ये हैं गीत के बोल, डॉ.नरेन्द्र वर्मा ने लिखा हैं

अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार

इँदिरावती हा पखारय तोर पईयां

महूं पांवे परंव तोर भुँइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ; मईया

सोहय बिंदिया सहीं, घाट डोंगरी पहार

चंदा सुरूज बनय तोर नैना

सोनहा धाने के अंग, लुगरा हरियर हे रंग

तोर बोली हावय सुग्घर मैना

अंचरा तोर डोलावय पुरवईया

महूं पांवे परंव तोर भुँइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ; मईया

रयगढ; हावय सुग्घर, तोरे मउरे मुकुट

सरगुजा अउ बिलासपुर हे बइहां

रयपुर कनिहा सही घाते सुग्घर फबय

दुरूग बस्तर सोहय पैजनियाँ

नांदगांव नवा करधनिया

महूं पांवे परंव तोर भुँइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ; मइया

राष्ट्रगान के बाद राजकीय गीत

इस स्कूल के शिक्षकों व शाला विकास समिति ने बेहतर काम किया हैं। अरपा पैरी के धार गीत को राज्य उत्सव में राजकीय गीत घोषित किया हैं। लोहझरी स्कूल की पहल को पूरे जिले के सरकारी स्कूलों में अपनाया जाएगा। पहले की भांति राष्ट्रगान होगा। इसके बाद राजकीय गीत गाया जाएगा।

अवनीश कुमार शरण, कलेक्टर

तीन दिन से गाया जा रहा

राजकीय गीत अरपा पैरी के धार को प्रतिदिन स्कूल के अध्यापन कार्य प्रारंभ होने से पहले राष्ट्रगान के बाद गाया जा रहा हैं। इस पहल को शुरू किए तीन दिन हो गए। शुक्रवार की सुबह भी गाई गई है। इसे भविष्य में भी हमेशा गाया जाएगा।

मोहम्मद रौशन खान, प्रधान पाठक, शासकीय प्राथमिक शाला लोहझरी

संस्कृति के प्रति जागरूक करना

समिति ने मंगलवार को प्रतिदिन राजकीय गीत को अध्यापन कार्य प्रारंभ होने से पहले गाए जाने को लेकर प्रस्ताव पास किया हैं। इसका उद्देश्य बच्चों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रति जागरुकता लाना हैं। अब हमारे पहल को पूरे जिले में लाया जा रहा वह अच्छी बात हैं।

गणेश चन्द्रवंशी, अध्यक्ष, शाला विकास समिति लोहझरी