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महिला से रेप के लिए 15 साल पहले दोषी करार व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी

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एक महिला से दुष्कर्म के लिए निचली अदालत द्वारा एक व्यक्ति को दोषी करार दिए जाने के 15 साल बाद उच्चतम न्यायालय ने उसे यह कहते हुए बरी कर दिया कि ‘पीड़िता’ भरोसेमंद गवाह नहीं है क्योंकि बार-बार वह अपना रुख बदलती रही।

उच्चतम न्यायालय ने आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के साथ ही निचली अदालत के फैसलों को खारिज कर दिया जिसमें व्यक्ति को दोषी ठहराया गया था । वर्ष 2011 में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के सितंबर 2004 के फैसले को बरकरार रखा जिसमें उसे दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा दी गयी थी।

न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने एक तरह से पुलिस द्वारा दर्ज किए गए बयानों पर भरोसा करते हुए व्यक्ति को दोषी करार दिया और अदालत के सामने दिए गए बयानों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया। पीठ ने कहा कि अदालत में शपथ पर बयान दिया जाता है जो कि दोषसिद्धि का आधार होता है।

पीठ ने व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि निस्संदेह यह सच है कि दुष्कर्म के मामले में दोषसिद्धि मामला दर्ज करने वाले की एकमात्र गवाही पर आधारित हो सकता है। लेकिन वहां एक चेतावनी है कि बयान में भरोसा जगना चाहिए । यह ऐसा मामला है जहां समय-समय पर पीड़िता का सुर और उसका रुख बदलता रहा।