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छत्तीसगढ़ में 25 सौ के लालच में जिले में बढ़ गया धान का 10 हजार एकड़ रकबा

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25 सौ के लालच में जिले में पंजीयन से 15 दिन पहले ही साढ़े 5 हजार नए किसान आ गए हैं। कर्जमाफी एवं धान के समर्थन मूल्य के कारण इस बार खरीफ में धान का पंजीकृत रकबा भी बढ़ गया है और बीते साल की तुलना में इस बार समितियों में अब तक करीब 10 हजार एकड़ रकबे कस अतिरिक्त पंजीयन हो चुका है।

खरीफ में धान खरीदी से पहले ही इस बार जिला प्रशासन के लिए मुसीबत बढ़ गई है। बीते साल की तुलना में इस बार जिले में 79 सेवा सहकारी समितियों में किसानों की संख्या रिकार्ड स्तर तक पहुंच गई है। बीते साल से जहां 5 हजार ज्यादा किसानों ने खरीफ में धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है तो वहीं समितियों में कुल पंजीकृत रकबा भी 10 हजार एकड़ से बढ़ गया है, जबकि अभी भी किसान पंजीयन के लिए करीब 10 दिनों का वक्त शेष है। खाद्य व सहकारिता विभाग के रिकार्ड के अनुसार रायगढ़ जिले में बीते साल जहां 82648 किसानों ने अपना पंजीयन कराया था तो कर्जमाफी एवं 25 सौ में धान बेचने की प्रत्याशा में इस बार 87 हजार से ज्यादा किसानों ने पंजीयन करा लिया है। इसमें करीब 5 हजार 7 सौ नए किसान भी शामिल हैं। साल 2018 में समितियों में धान का कुल रकबा जहां 1 लाख 43 हजार 165 हेक्टेयर था, तो वहीं इस बार 1 लाख 47 हजार हेक्टेयर से ज्यादा पहुंच गया है। मतलब एकड़ में करीब 10 हजार एकड़ धान का रकबा अब तक बढ़ चुका है। अब विभाग को भी उम्मीद है कि 31 अक्टूबर तक होने वाले किसान पंजीयन में पंजीकृत रकबा डेढ़ लाख हेक्टेयर व किसानों की संख्या भी 60 हजार से उपर पहुंच जाएगी।

वीसी में बारदाना वसूली की टिप्स

धान खरीदी से पहले तैयारियों की समीक्षा के लिए सचिव खाद्य विभाग ने वीसी ली थी। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उन्होंने अफसरों को धान खरीदी में उपयोग में आने वाले एक नग भरती बारदानों की याद दिलाई और कहा कि राइस मिलरों व पीडीएस के अलावा किसानों से भी यह बारदाना संग्रहित करना है। संग्रहण में आ रही परेशानियों को सुनने के बाद उन्होंने कुछ टिप्स भी दी और टार्गेट के अनुसार बारदाना की वसूली सयम पर पूरा करने की नसीहत भी दी।

खरीफ में धान खरीदी के लिए अब तक करीब साढ़े 5 हजार नए किसानों ने पंजीयन के लिए तहसील कार्यालयों में आवेदन दिया है। बीते साल की तुलना में पंजीकृत रकबा भी बढ़ा है। अभी किसान 31 अक्टूबर तक धान बेचने के लिए पंजीयन करवा सकते हैं।

शिल्पा अग्रवाल, सहायक पंजीयक सहकारिता