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छत्तीसगढ़ : निगम दफ्तरों में प्लास्टिक की बोतलों के उपयोग पर लगा प्रतिबंधित

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नगर निगम ने पॉलीथिन बैग के विरुद्ध अभियान छेड़ दिया है। जो इसका इस्तेमाल कर रहे हैं उन पर निगम के प्रत्येक जोन की टीम नजर रखे हुए हैं। वहीं कुछ एनजीओ भी इसे लेकर सक्रिय हैं। इनकी मदद से निगम न सिर्फ अभियान को आगे बढ़ा रहा है, बल्कि जनजागरुकता भी ला रहा है।

निगम आयुक्त शिव अनंत तालय ने जोन आयुक्तों को दफ्तर में प्लास्टिक की बोतलों में पानी न लाने और किसी भी तरह से उपयोग न करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि धातुओं जैसे स्टेनलेस स्टील या तांबे से बनी बोतलों में पानी लाएं। आयुक्त का स्पष्ट कहना है कि शुरुआत हमें अपने घर, कार्यालय, परिसर से करने की जरूरत है। तभी तो जनता को कह पाएंगे कि वे पॉलीथिन बैग, बोतल का इस्तेमाल न करें। निगम जोन-2 आयुक्त ने कार्यालय में कर्मचारियों को पीने के पानी के लिए प्लास्टिक की बोतल का प्रयोग न करने की हिदायत दी। वहीं निगम जोन चार अमले द्वारा सिंगल यूज पॉलीथिन और गंदगी फैलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की। कटोरा तालाब क्षेत्र के 19 दुकानदारों पर 9500 रुपए जुर्माना भी लगाया गया। जोन-2 स्वास्थ्य अधिकारी रवि लावनिया ने बताया कि स्टेशन रोड व स्टेशन के पास संजय गांधी बाजार में पॉलीथिन का प्रयोग नहीं करने की समझाइश पहले ही दे दी गई थी। सोमवार को जांच के दौरान इन्हें नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया गया, जिस पर कार्रवाई हुई। दो दुकानों से पॉलीथिन जब्त की गई। इन्हें कागज के पाउच रखने को कहा गया।

डिस्पोजल का बड़ा कारोबार

प्रदेशभर में डिस्पोजल का बड़ा कारोबार है। दोना-पत्तलों की जगह डिस्पोजल ने ले ली है। यह कम दाम में, सर्व-सुविधायुक्त है। इसलिए बड़े पैमाने पर शादी पार्टी से लेकर कई अन्य कार्यक्रमों में इसे इस्तेमाल में लाया जाता है। पानी पाऊच भी बड़ी संख्या में बिक रहे हैं। डिस्पोजल गिलास का सर्वाधिक इस्तेमाल शराबी करते हैं, इसलिए तो शराब दुकानों के आसपास इनका अंबार दिखता है।

450 टन कचरे में सात फीसद पॉलीथिन, प्लास्टिक बोतलें

रायपुर से रोजाना 450 टन कचरा निकलता है। इसमें सात टन पॉलीथिन या उससे बने उत्पाद और बोतलें होती है। इनके डिस्पोज का कोई विकल्प नहीं है। हालांकि सकरी में रामकी कंपनी कचरा प्रोसेसिंग प्लांट लगा रही है, इसकी डेड लाइन 30 अक्टूबर है। इतने कम समय में संभव ही नहीं है कि प्लांट शुरू हो पाए।