Home समाचार 40 घंटे महिलाऐं करेंगी निर्जला व्रत, निभाई कडू भात सेवन की रस्म…

40 घंटे महिलाऐं करेंगी निर्जला व्रत, निभाई कडू भात सेवन की रस्म…

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पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना का पर्व तीजा रविवार को मनाया जाएगा। तीजा की पूर्व संध्या पर शनिवार को महिलाओं ने कड़ू भात (करेला और चावल) पकाकर खाने की रस्म निभाई। इसी के साथ महिलाओं का निर्जला व्रत शुरू हो गया। अब 40 घंटे तक महिलाएं बिना जल ग्रहण किए उपवास रहेंगी।

रविवार को शिव-पार्वती की पूजा करके रात भर भजन-कीर्तन में रमी रहेंगी। चतुर्थी को सुबह पुनः पूजा करके पारणा करेंगी। दिन भर बेटियों के मायके आने का क्रम जारी रहा। बेटियों के मायके पहुंचते ही परिवार में उत्साह छा गया। इसके बाद शाम को व्रतधारी महिलाएं मार्केट पहुंचीं, जहां श्रृंगार सामग्री, साड़ियां, जेवरों की खरीदारी की।

बेटियों को मायके बुलाकर आवभगत की मान्यता

ऐसी मान्यता है कि जब राजा दक्ष की इच्छा के खिलाफ उनकी पुत्री सती ने शंकर से ब्याह रचाया तो राजा दक्ष नाराज हो गए और उन्होंने अपनी बेटी से नाता तोड़ लिया। एक बार राजा दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ में तीनों लोक के राजा-महाराजाओं व देवगणों को आमंत्रित किया, लेकिन अपनी पुत्री सती व दामाद शंकर को नहीं बुलाया।

सती ने शंकर से जिद की कि वे अपने पिता के महायज्ञ में जाना चाहती हैं। भगवान शंकर के मना करने के बावजूद सती बिना बुलाए अपने मायके पहुंचीं, लेकिन उनके पिता ने बेटी का अपमान करते हुए दामाद शंकर को अपशब्द कहे, जिसे सती बर्दाश्त नहीं कर पाईं और यज्ञ के हवन कुंड में कूदकर जान दे दी।

ऐसी मान्यता है कि राजा दक्ष ने अपनी पुत्री का अपमान किया था। इसके प्रायश्चित स्वरूप कालांतर में माता-पिता द्वारा अपनी विवाहिता बेटी को मायके बुलाकर आवभगत करने की परंपरा चल पड़ी। चूंकि भादो शुक्ल की तृतीया तिथि पर सती ने अगले भव में पार्वती के रूप में जन्म लेकर पुनः शंकर से ब्याह रचाया था, इसलिए तृतीया के दिन को ही तीजा के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।

अनेक प्रांतों में मनाते हैं तीजा

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, ओडिशा में जहां भादो शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है, वहीं राजस्थान, गुजरात में तीजा 15 दिन पूर्व भादो कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जा चुका है। प्रायः सभी समाज में तीजा मनाने का विधि-विधान एक सरीखा है। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूजा करके दीर्घायु की कामना करती हैं।