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भगवान राम के वंशज की दावेदारी में शामिल हुआ अग्रवाल समाज, कही ये बात

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अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. 9 अगस्त को कोर्ट ने रामलला के वकील से पूछा था- क्या भगवान राम( Lord Ram) का कोई वंशज अयोध्या या दुनिया में है? इस पर वकील ने कहा था- हमें जानकारी नहीं. लेकिन भगवान राम की वंशावली में अब अग्रवाल समाज (Agrawal community) भी दावेदार बनकर सामने आया है.

बहरहाल, अग्र केसरी महाकुटुंब ट्रस्‍ट के प्रधान राजेंद्र अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है और जिसमें दावा किया गया है कि हमारे कुलपुरुष महाराजा अग्रसेन सूर्यवंशी क्षत्रिय भगवान राम के वंशज थे. महाराजा अग्रसेन भगवान राम के पुत्र कुश की 35वीं पीढ़ी में हुए हैं. इस दावे की बाबत इतिहास और पौराणिक ग्रन्थों में विस्तृत उल्लेख और साक्ष्य हैं. लिहाजा कोर्ट उनकी भी दावेदारी रिकॉर्ड पर दर्ज करे. हालांकि कई और घरानों ने इस दावेदारी की रेस में अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है.

मेवाड़ के पूर्व महाराज ने किया ये दावा मेवाड़ के पूर्व महाराज महेंद्र सिंह मेवाड़ ने कहा है कि हमारा राजघराना राम के पुत्र लव का वंशज है. मेवाड़ में उनकी 76 पीढ़ियों का इतिहास दर्ज है. मेवाड़ राजघराने के ही लक्ष्यराज की तरफ से बताया जा रहा है कि कर्नल जेम्स टार्ड की पुस्तक के मुताबिक लव के वंशज कालांतर में गुजरात होते हुए आहाड़ यानि मेवाड़ में आए और यहां सिसोदिया साम्राज्य की स्थापना की थी. उन्होंने कहा कि श्रीराम भी भगवान शिव के उपासक थे और मेवाड़ राजपरिवार भी एक लिंगनाथ (शिवजी) का उपासक है. राम के वंशज राघव राजपूत हैं. राघव समाज ने बाल्मीकि रामायण के पृष्ठ संख्या 1671 का उल्लेख किया है, जिसमें राम की वंशावली की जानकारी है.

राघव ने बताया कि राम के पुत्र लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ,जिनमें बगुर्जर, जयात और सिकरवारु का वंश चला. जबकि कुश से कुशवाह राजपूतों का वंश चला.

जयपुर के राजपरिवार की तरफ से कहा जा रहा है कि वे भगवान राम के बड़े बेटे कुश के नाम पर ख्यात कच्छवाहा/कुशवाहा वंश के वंशज हैं. यह बात इतिहास के पन्नों में दर्ज है. राजस्‍थान के राजसमंद से बीजेपी सांसद और पूर्व राजकुमारी दीया कुमारी इसके कई सबूत देने की भी दावा कर रही हैं. उनकी तरफ से कहा जा रहा है कि उनके पास एक पत्रावली है, जिसमें भगवान श्रीराम के वंश के सभी पूर्वजों का नाम क्रमवार दर्ज हैं. इसी में 289वें वंशज के रूप में सवाई जयसिंह और 307वें वंशज के रूप में महाराजा भवानी सिंह का नाम लिखा है. इसके अलावा पोथीखाने के नक्शे भी मौजूद हैं.