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42 दिन में की 89 सभाएं, उड़नखटोले में खूब उड़े CM भूपेश बघेल

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 आचार संहिता लगने के बाद 11 मार्च से तीसरे चरण के मतदान का प्रचार 21 अप्रैल को थमने तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 89 चुनावी सभाएं की। मुख्यमंत्री ने किराए के हेलीकॉप्टर से हर लोकसभा क्षेत्र का दौरा किया। केवल चुनावी सभाएं ही नहीं, उन्होंने नामांकन रैली, रोड शो और संवाद भी किया। 42 दिनों के धुआंधार प्रचार में मुख्यमंत्री ने 105 चुनावी कार्यक्रम किए।

जहां भाजपा के प्रत्याशियों का प्रचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अध्यक्ष अमित शाह समेत सात फायरब्रांड नेता छत्तीसगढ़ आए, वहीं कांग्रेस का मोर्चा मुख्यमंत्री ने संभाले रखा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अंतिम चरण में आए और केवल दो चुनावी सभा करके चले गए। पंजाब के मंत्री नवजोत सिद्धू को भेजा गया था, लेकिन मौसम और हेलीकॉप्टर ने उन्हें दगा दे दिया। उनकी छह सभाएं रखी गई थीं, लेकिन दो में ही पहुंच पाए।

दुर्ग लोकसभा क्षेत्र की नौ विधानसभा सीटों में से आठ में कांग्रेस का कब्जा है, इसके बाद भी मुख्यमंत्री को सबसे ज्यादा दुर्ग लोकसभा की चिंता रही। उन्होंने दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 18 सभाएं की। इसका कारण यह है कि मुख्यमंत्री का विधायकी क्षेत्र पाटन इसी लोकसभा क्षेत्र में आता है, इसलिए जाहिर तौर पर उनकी प्रतिष्ठा इस सीट पर दांव पर लगी है।

दुर्ग लोकसभा सीट जितना कांग्रेस के लिए और ज्यादा जरूरी है, क्योंकि इसी लोकसभा क्षेत्र से साजा विधायक व मंत्री रवींद्र चौबे, दुर्ग ग्रामीण विधायक व मंत्री ताम्रध्वज साहू और अहिवारा विधायक व मंत्री गुरु स्र्द्र कुमार भी हैं। साहू तो दुर्ग के सांसद भी थे, मंत्री बनने के बाद सांसद का पद छोड़ा।

मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी की भी दो में से एक सभा वैशालीनगर विधानसभा क्षेत्र में करा दी। मतलब, दुर्ग में ताकत झोंकने में मुख्यमंत्री ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। विधानसभा सीट के आधार पर बात की जाए, तो दुर्ग लोकसभा क्षेत्र की नौ विधानसभा सीटों में से आठ में कांग्रेस का कब्जा है।

बिलासपुर में चुनौती ज्यादा थी, इसलिए 10 सभा की

बिलासपुर लोकसभा की आठ में से चार विधानसभा सीट में भाजपा का कब्जा है। दो सीट कांग्रेस और दो सीट जकांछ के पास है। यहां कांग्रेस के लिए चुनौती ज्यादा रही और प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव मुख्यमंत्री के करीबी भी हैं, इसलिए भूपेश ने इस सीट में 10 सभा की। रोड शो भी किया। राहुल की सभा भी कराई।

महंत की प्रतिष्ठा के लिए कोरबा में सात सभा, दो रोड शो

कोरबा लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत प्रत्याशी थीं, इसलिए महंत की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री ने सात चुनावी सभा और दो रोड शो किए। 2009 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर महंत चुनाव जीते थे, कांग्रेस इस पर वापस कब्जा करना चाहती है।

नक्सल प्रभावित तीन सीटों पर बराबर फोकस किया

नक्सल प्रभावित बस्तर, कांकेर और राजनांदगांव लोकसभा सीटों को बराबर फोकस किया। कांग्रेस राजनांदगांव जीतकर कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के गढ़ में सेंध लगाना चाहती है। वहीं, बस्तर की आठ में सात और कांकेर की आठों विधायक कांग्रेस के हैं, इसलिए प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। तीनों सीटों पर कांग्रेस लंबे अरसे से लोकसभा चुनाव नहीं जीती है।

बसपा की चुनौती को देखकर जांजगीर में लगाया जोर

जांजगीर लोकसभा क्षेत्र में बसपा का प्रभाव है। यहां की आठ में से पांच विधानसभा सीट कांग्रेस, दो भाजपा और एक बसपा के पास है। बसपा की चुनौती को देखकर मुख्यमंत्री ने जांजगीर में जोर लगाया। उन्होंने एससी वोट को कांग्रेस की झोली में लाने की कोशिश की। सभा के अलावा रोड शो भी किया।

मंत्री के दावेदारों पर छोड़ा महासमुंद और रायपुर को

अभी मंत्री की एक कुर्सी खाली है। मुख्यमंत्री ने दो सीट महासमुंद व रायपुर को तीन दावेदार धनेंद्र साहू, अमितेष शुक्ल व सत्यनारायण शर्मा के भरोसे छोड़ दिया था। इस कारण खुद कम सभाएं की। महासमुंद से साहू खुद चुनाव मैदान में हैं। अगर, सांसद बन जाते हैं, तो मंत्री की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। शुक्ल को मंत्री बनाया जा सकता है। यदि, रायपुर जीते तो शर्मा को मौका मिल सकता है।

सरगुजा तो पहले से सिंहदेव के हवाले

सरगुजा लोकसभा सीट को मुख्यमंत्री ने पहले ही मंत्री टीएस सिंहदेव के हवाले कर दिया था। इस कारण वहां बघेल ने दूसरी सीटों के मुकाबले ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया। दूसरा कारण यह है कि सरगुजा लोकसभा की सभी आठ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, इसलिए भी मुख्यमंत्री ज्यादा चिंतित नहीं रहे। राज्य बनने के बाद यहां कांग्रेस लोकसभा चुनाव नहीं जीती है।

रायगढ़ में छह सभा और रोड कर बनाया माहौल

रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की आठों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, लेकिन यहां धर्मजयगढ़ विधायक और लोकसभा प्रत्याशी लालजीत सिंह राठिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, इसलिए मुख्यमंत्री ने छह सभाएं और रोड शो करके कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की।

दुर्ग में सबसे ज्यादा, रायपुर में सबसे कम सभा

– दुर्ग-18

– बिलासपुर-10

– जांजगीर-09

– राजनांदगांव-08

– बस्तर-08

– कांकेर-08

– कोरबा-07

– रायगढ़-06

– महासमुंद-06

– सरगुजा-05

– रायपुर-04

सीएम की सभाएं, रैली और रोड शो

0 आमसभा-89

0 रोड शो-07

0 नामांकन रैली-06

0 आय पर चर्चा-02

0 युवा संवाद-01